Ghar ka vo Kona
Ek sukun ka hona
Jab lage sab dhundh sa jeevan me
Vo ek Kona
Dede sab thik hone ka sapna-
मां भी जादू ही है
देखते ही तबियत ठीक लगने लगती
उसकी गोदी में सुकून है,
मां के हाथों में जादू ही है
हाथ लगाते ही सब सही सा लगता है।।
मां भी जादूगर है
देखते ही समझ जाती है
कि दिल दुखा है मेरा
अपने जादुई हाथों से खाना खिला के
मन बहलाती है मेरा ।।
जब कभी गलती होती मुझसे
डांट कर या प्यार से समझती मुझे।।
पाल पोस कर के
इतना बड़ा बनाती
जादूगर ही हैं वो
जो मुझे मेरी ही अहमियत समझती ।।
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When I am all alone
When I am really sad
When I feel catastrophic
Whe I feel nothing ...
I just sleep
When I find love of my life busy
When I find my friends being busy
When family have other priority
I just feel sleep is all I have ....-
उम्मीदें जब टूटती है
नया इंसान बनता है
बिना उम्मिदों के
नई सोचके साथ
आज वो फिर एक
नया इंसान बना है।।-
Lamba h Safar
Kat hi Jana h
Kisi se milna h
kisi se bichad Jana h
Raste par chalte chalte
Manjil mil hi Jana hai
Jaldi kis baat ki
Jab din dhal hi Jana hai-
Is like Jadu ki छड़ी hona
Kisi ko जीवनदान dena
Kisi ka मार्गदर्शन karana
Kabhi apni baaton se शिक्षित करना
कभी कर्तव्य अपने स्वास्थ के प्रति जागरूक कराना
कभी निस्वार्थ सेवा
कभी सिर्फ मुस्कुरा कर मरीजों में जान भरदेना
इतना सब कुछ होकर भी
निर्मल रहना
अद्भुत है तो doctor होना।।-
कुछ जज़्बात ज़िन्दगी से हैं।
कुछ से ज़िंदगी है।
हर आंसू की वजह याद नही,
कभी बेवफाई
कभी बेरुखी है।।-
सबसे ऊपर है पैसा ,यह समझाने की ।
नहीं लापाओंगी खुशियां , मैं अपने मायके से
आशीर्वाद स्वरूप पैसों जो मांगा है तुमने
उसके बदले मैं खुद ही बाबुल घर जाऊंगी।।
अपने माता, पिता और भैया से कहके
मै अपने घर को आगई ।
जब उनको हाल सुना दिया मैने
उनकी आंखें भर आगई।
ऐसा आंगन कैसा आंगन
जहां कद्र बहु की ना हो पाई,
क्या जरुरत
पति ,सास ,ससुर, ननद की?
जब खुश ना रख पाए वो।
जब पैसा ही सबकुछ है
तो पैसों को बहू बना लेना
अपने घर का चिराग उसी से जलवा लेना ।।-
मै ब्याह के, अपने आंगन आयी,
सपनों को संग संजो के खुशियां झोली भर ले आयी।
पहले सपना टूटा मेरा,
जब तूने साथ ना दिया मेरा
दूसरा सपना टूटा मेरा,
जब तुमने मुझे समझना जरूरी नहीं समझा
तीसरा सपना टूटा मेरा,
जब हम हरदम नोंक झोंक में उलझे थे
चौथा सपना टूटा मेरा ,
जब लगा मुझे क्यों लड़की बन पैदा हुई मै ?
सपनों की गिनती भूल गई मै
हरदम साथ निभाया मैने ,
इस छलावे में,एक तुम हमेशा प्यार करोगे
इस नए घर नय आशियाने में ।
सपने बुनना बंद किया जब
कद्र नहीं मेरी मुहब्बत की ।-
बेबस ही हैं
जो संग नहीं तुम्हारे
किससे झगड़े
किसको सुनाए
ये कर्म ही बिगड़े हैं हमारे।-