अपनी जिंदगी में बहुत 'आम' सी हू मैं,
तुम्हारी आँखें ना जाने क्यों मुझे 'ख़ास' बना देती हैं।-
खास बनने के सफर पर हूँ।
Compiler -" DEPTH OF WORDS "
Co -author - " Bachp... read more
जब चलना अपने पैरों से हैं,
तो दूसरो से सहारे की उम्मीद क्यों करना?-
कोई ढो रहा खूबसूरती से अगर,
बोझ जिंदगी के,
मतलब ये नहीं कि बोझ भारी नहीं उसका।-
शाम की रखी रोटी सुबह को बासी कही जाती हैं,
पर सुबह की रखी रोटी शाम को सुबह की रखी रोटी ही कही जाती हैं,
बासी नहीं,
अंतर फिर सही और अच्छी सोच का ही हैं,
परिस्थिति तो बदलती रहती हैं।-
सुकूँ कहीं से आता नहीं हैं,
अपने अंदर से ही उसकी जगह बनानी पड़ती हैं।-
शब्दों की कमी भले ही रहती हो इनके पास,
पर भावनाएँ इनकी भी कम नहीं होतीं,
मैंने देखा हैं पिता को अपने साथ,
खिलखिला के हँसते हुए,
उनके ख़ुद के लिए कुछ ज़रूरी था या नहीं,
पर मेरा सब जरूरी उनकी भी जरूरत बनते,
देखा हैं मैंने अपने पिता के लिए,
ढल रही हैं उम्र पिता की,
पर सफलता का साहस मुझमें,
भरता हुआ देखा हैं मैंने उन्हें मेरे लिए।-
आधुनिकता की कितनी भी बुलंदिया छू लो,
तरक्की तभी हैं जब जड़ से जुड़े रहोंगे।-
कितना विचित्र हैं ना कि,
प्रेम का कोई शुल्क ना होते भी,
मिलने वाला दुनिया का सबसे महंगा सुख हैं।-
कुछ लोगों की फितरत होतीं हैं फ़ायदे के लिए,
हवा के बहते रुख को पकड़ लेने की,
पर,
ऐसा तो मैंने गली कूचों और सड़क पर पड़े
कचरे को करते देखा हैं, हवा चलने पर।-