हमारे पास वक्त भी नहीं है,
और बर्बाद करने के लिए वक्त भी बहुत है।-
Patriotic
Indian
घने अंधियारों में छोड़ देते हैं साथ आँसू भी,
वरना रोशनी में तो आँखें सिर्फ मुस्कराती है।-
(सायंकाल 9 बजे)
घी, तेल के दीये, मोमबत्तियों के साथ ढोल, शंख, बाजों की मधुरमय ध्वनि और पूरा भारत एकजुट होकर करूणामय दृश्य का आनंद ले रहा है। दीपावली जैसा माहौल, सभी अपने घर में आनंद ले रहे हैं। उत्सव एेसे ही तो होते हैं।
इससे खूबसूरत नजारा भारत के अलावा कहां देखने को मिलेगा।
इस अद्भुत दृश्य के लिए धन्यवाद प्रधानमंत्री जी।
-
नौसिखिया हूँ मैं, मेरे सामने काँटें भी आएँगे
आकिबत पता नहीं, ख्वाब जरूर देखे जाएँगे
उद्देश्य है जबतक साथ मेरे, पैर नहीं लड़खड़ाएँगे
मंजिल पाने के लिए, तकदीर से लड़ जाएँगे
-
दोस्ती का अर्थ सब बदलने लगे हैं।
मतलब के लिए सब दोस्ती करने लगे हैं।
यादों का पुल बनाया था साथ हमने
पढ़ाई खत्म दोस्त अब बिछड़ने लगे हैं।
कैसी अजाब अब हमज़बां कोई नहीं यहां
खुद को अपना समझ, आईने से बतियाने लगे हैं।
जिजीविषा थी साथ रहे...पल बीते शाम हुई
पलक झपकी, अब सब अफसाने लगने लगे हैं।
मिलेगा किसी राह तुझे दोस्त कहने वाला "अंजलि"
लगता है मेरे द्वारा झूठे अनुमान लगाए जाने लगे हैं।
-
उद्देश्य ढाढ़स बँधाते हुए,
मेरी कल्पना और मैं।
अधरतिया मेरी साथी, संबल
महताब आवृत धराधर
हर तरफ सन्नाटा
थोड़ी एहतियात, गुमान अंधियारे में
मैं धुंधला प्रकाश हूँ।-
पकड़ हाथ में कलम,
स्याही को खाद बनाता है।
किसान बना हर कातिब,
अल्फाजों से फसल उगाता है।
खेती करता कागज पर,
अहसासों की बारिश करता है।
भर ज्ञान की रोशनी,
कागज पर इतिहास रचता है।-
कोई मिलने नहीं आता है अब ,
सब अपने कामों में लगे हुए हैं।
एक ही पेड़ के थे, फिर बीज बन,
सब अलग-अलग अब्तर हुए हैं।
राहें लंबी, मकां उदास, रंग फीके,
रिश्ते देखो मुफलिसी बन गए है।
वक्त नहीं, वक्त है भी... पता नहीं
सब जिंदगी में मशगूल हो गए हैं।
कोई मिलने नहीं आता है अब
पास होकर भी हम दूर हो गए हैं।
-
चेहरा एक पाखंडी परत है-
अगर किसी को जानना है तो उसके चेहरे से नहीं, उसकी बातों से और दिल से जानो।-