अच्छा लगता हैं बहुत जब एक बुलावे पे वो दौरा चला आये।
बाहों में भरते ही उसका मुझे, मेरा हर दर्द पीछे छुट जाए।
अच्छा लगता हैं,बिन बोले जब हर एक बात वह मेरा समझ जाए,
देखते उसका मुझे, मेरी धरकने हाय थम जाए।।-
टूट कर बिखर सा जाता हैं इंसा, उस खास शक्स को खो कर।
कि लोग तो बहुत होते हैं आस-पास फिर भी ये दुनियाँ अधूरा सा लगता हैं।
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खँजर, तीर और तलवार तो युही बदनाम हैं गालिब...
कि असल में तो गेहरे घाव अपनों की बातें देती हैं।-
पुरा नहीं अधूरा ही सही,
थोड़ा सा ही पर हमने तुम्हे पाया तो है,।
उस रब ने लिखा नहीं किस्मत में तो क्या हुआ,
इस कायनात ने हमे तुमसे मिलाया तो है!!-
ये शरद की रात,हम दों बैठे हों साथ।
गर्म प्याली चाय की हों हाथ।
बहुत सारी हों रही हों बात,
और बीत जाये ये शरद की रात।-
कुछ रिश्तों का नमक ही दूरी होता हैं,
ना मिलना भी बहुत जरूरी होता हैं ।
ना मिल के भी दिल खुश रह लेता हैं,
जब प्यार करने वाला सादिक होता हैं।-
दूरियाँ बनाती हैं रिश्तों को खोखला।
चुपी से दरारे बन जाती हैं।
जब हर बात कहने वाले भी ना कुछ की रट लगाने लगे,तो उनकी दुनिया बदल जाती हैं ।-
सफ़र खुबसूरत हैं मंजिल से भी,
तो क्यों ना थोड़ा सफ़र का लुफ्त उठाया जाए।
थोड़ा और रोमांचक करते हुए जिन्दगी के इस सफ़र को,
क्यों ना थोड़ा और जोखिम उठाया जाएं।-
आदते सुधार रही हुँ।
मैं दुनिया को नहीं ख़ुद को भुला रही हुँ।
यू तो बदनाम हैं ये जहाँ दर्द देने के लिए।
असल में दर्द खुद को मैं ख़ुद सालों से देती आ रही हुँ।-