महब्बत है अगर उर्दू,तो प्रिय का प्यार है हिंदी
है उर्दू इल्तिजा तो प्रेम से मनुहार है हिंदी
मगर भाषा के सागर में इन्हें घुल मिल ही जाना है
है उर्दू एक दरिया तो नदी की धार है हिंदी
-
के हो चाँदनी सोई छत पर
जागती रहती हैं ये साथ हमारे शब भर
चाँद के होने से ही चाँदनी ज़िंदा है ज्यूँ
ठीक ऐसे ही मैं हूँ तुझसे ऐ मेरे दिलबर-
हवायें सरसराती इस बदन को
तुम्हारा नाम लेकर छू गयीं हों
मेरी बिखरी हुई ज़ुल्फ़ों को तुमने
नज़र से ही किनारे कर दिया है
मेरे माथे पर आँखों से ही तुमने
बहुत हल्का सा इक बोसा लिया है
मुझे मुड़ मुड़ के तुमने देखने को
किया है इस तरह मजबूर जानां
मैं कैसे छोड़कर जाऊँ तुम्हें यूँ
चलो अब तुम नज़र अपनी हटा लो
-
तुम्हें खोकर लगे ऐसा
के जैसे डोर साँसों की
है अब टूटी के तब टूटी
के जैसे ज़िंदगी हाथों से
अब छूटी के तब छूटी
चले भी आओ अब जानां
के इससे पहले मुट्ठी से
सभी लम्हा फ़िसल जायें
जहाँ से लौट कर आना
नहीं होता कभी मुमकिन
कहीं ऐसा न हो अब हम
उसी रास्ते निकल जायें
चले आओ....-
a child breaks its favourite toy
just to see
what is inside
how the toy talked and walked
and then
tells the toy to talk again ,walk again
but when it doesn't
throws it away
just to get a new one
...anjali cipher-
3 पंक्तियों में एक माहिया
बगिया सा है जीवन
नव पत्ते आकर
हरियाला कर दें मन
-
है तसव्वुर बहुत ही ये प्यारा मुझे
तुमने कह कर महब्बत पुकारा मुझे
ख़ुद ब ख़ुद ही बहकने लगे ये क़दम
इक नज़र का मिला जो सहारा मुझे-
एक लहर आये टकराये मिट जाये
दिखता है इसमें जीवन का सार मुझे
क्यों मैंने नदिया बनकर खुद को खोया
रास न आया सागर का विस्तार मुझे-