महब्बत है अगर उर्दू,तो प्रिय का प्यार है हिंदी है उर्दू इल्तिजा तो प्रेम से मनुहार है हिंदी मगर भाषा के सागर में इन्हें घुल मिल ही जाना है है उर्दू एक दरिया तो नदी की धार है हिंदी
हवायें सरसराती इस बदन को तुम्हारा नाम लेकर छू गयीं हों मेरी बिखरी हुई ज़ुल्फ़ों को तुमने नज़र से ही किनारे कर दिया है मेरे माथे पर आँखों से ही तुमने बहुत हल्का सा इक बोसा लिया है मुझे मुड़ मुड़ के तुमने देखने को किया है इस तरह मजबूर जानां मैं कैसे छोड़कर जाऊँ तुम्हें यूँ चलो अब तुम नज़र अपनी हटा लो
तुम्हें खोकर लगे ऐसा के जैसे डोर साँसों की है अब टूटी के तब टूटी के जैसे ज़िंदगी हाथों से अब छूटी के तब छूटी चले भी आओ अब जानां के इससे पहले मुट्ठी से सभी लम्हा फ़िसल जायें जहाँ से लौट कर आना नहीं होता कभी मुमकिन कहीं ऐसा न हो अब हम उसी रास्ते निकल जायें चले आओ....
a child breaks its favourite toy just to see what is inside how the toy talked and walked and then tells the toy to talk again ,walk again but when it doesn't throws it away just to get a new one ...anjali cipher