जब देखा आपने प्यार को किसी और के बाहों में तो दिल टूट सा गया
किसी और को पाने के लिए उसने मुझे खो दिया
ये देख खुदा से दिल रूठ सा गया
बहुत खुश था उसके साथ तस्वीरें लेने में वो जैसे उसने मुझे भुला दिया
लौट आया एक बार फिर वो जो किसी और के लिए मुझे छोड़ गया
ना प्यार रहा ना प्यार पर यकीन उसने आने में इतना देर किया-
आजकल उसकी बातों में बड़ी मिठास है न जाने मुझे से क्या छुपा रहा है
जिसके पास कल तक मुझे देने के लिए वक्त ना था मेरे रूठने पर भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था
वो कहता है आज मुझे से वह मेरे लिए सिगरेट और गलत आदतें छोड़ सकता है पर मुझे नहीं
अचानक से इतना प्यार पक्का कुछ तो बात है
कल तक मेरी मां को अपनी सांस और पापा को ससुर जी कहने वाला उसकी शादी किसी ओर से तय है मैं यह समझूं वह मुझे अब यह किस्सा सुना रहा है
जो कल तक कहता था अगर तेरी शादी तेरी मर्जी के बगैर हुई तो वह मुझे यहां से ले जाएगा और आज मुझे परिवार की इज्जत और मजबूरी बता रहा था
इंसान के दो रूप है या मुझे कुछ छुपा रहा है
हर एक झूठ पता है मुर्शद फिर भी चुप हूं मैं न जाने खुदा उसे क्यों इतना प्यार करने लगी हूं मैं
अपने प्यार पर किसी का हक तो दूर नजर तक बर्दाश्त नहीं मुझे और वो किसी और का है वो मुझे अब यह किस्सा सुन रहा था
शिकायत चुपती है उसे मेरी मुर्शद इसलिए शिकायत करना छोड़ दिया मैंने
जो शब्द ना समझे उसे समझाना छोड़ दिया मैंने अब
खुदा जाने वह अपने मासूम से चेहरे के पीछे क्या छुपा रहा है
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Zindagi jeene ke liye khud Ko badalne ki jarurat nahin
bus jindagi jeene ka najriya badlo ☺️
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Zindagi jeene ke liye khud Ko badalne ki jarurat nahin
bus jindagi jeene ka najriya badlo ☺️
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Gam or kushi to zindgi ka naam h
Kbi kushi to kbi gam milta h
Or y har dam milte h
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Wo dost hi kya jo
apne dost ko sukun na d ske
Wo dost hi kya jo
apne dost ka sat na d ske
Dost esi ki
dusro k liy misal ho
Dusman bi khe khas
aap jsa dost hmare pass ho-
Ek trfa mobbat bi
kya kamal ki hote h
Umeed nhi h milne ki
pr pyar bhehisab Hota h
Na Dar h chut Jane ka
na sat chlne ka koi wada h
Jante h wo hmare nhi h
phir bi unhe kuda s
Magana Acha lgta h-
Wo yaad hi kya jisme ahasa na ho
Wo pal hi kya jisme tum mare sag na ho-
Umeed h ya khi dil lga bdhe ho
Kise s mulakat huee h ya kud ko khi kho bdhe ho
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Wo zindgi hi kya jisme taklif na ho
Wo marna hi kya jisme mobbat na ho-