Anjaan Likhari   (Saurabh Sachdeva)
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Joined 10 July 2020


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Joined 10 July 2020
1 FEB AT 20:38

तस्वीरें अक्सर मंझिलों पर खींची जाती हैं।
यादें बनाने के लिए सफर करना पड़ता है ।।

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7 FEB 2023 AT 11:13

Socha tha bade hokar apne mann ka karenge,
Ab bade ho gaye toh kuch karne ka mann nahi karta.

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23 JUN 2021 AT 11:56

Wo kehte hai ab unhe humse pyaar nahi
Ye baat meri kalam likhne ko tayar nahi
Pyar ko bhula dena itna hi aasan hota hai
Kyu dil fir aise chup chup ke rota hai.
Mana narazagi ka aalam ab gehra hai
Dil par lgaya unhone aisa ye pehra hai.
Koi samjhaye unko
pyaar me dooriyan bhi zaruri hai
Ho jati hai kuch majbooriya bhi zaruri hai
Dil ke badle dil diya hai tumhe
Ye koi sauda ya vyapaar nahi
Kaise keh sakte hai wo ke unhe ab humse pyar nahi
Ye baat meri kalam ab likhne ko tayar nahi.

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23 APR 2021 AT 15:40

हाँ ये सच है ।
तेरे बिना जीना सीख लिया है मैंने ।।
लेकिन पहले जैसा हँसना भूल गया हूँ ।।
हाँ ये सच है।
सबको खुश रखता था मैं पहले
लेकिन अब खुद से ही रूठ गया हूँ ।
हाँ ये सच है ।
हर किसी को जोड़े रखता था मैं ।
लेकिन अब खुद ही टूट गया हूँ ।।
हाँ ये सच है ।
तुझे आज भी याद करता हूँ ।
लेकिन ये बात अब कहने से डरता हूँ ।।

कैसे कहूँ तुझे
मैं अपनी जान से ज्यादा प्यार करता हूँ ।।

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18 FEB 2021 AT 17:05

खुद को गिरा कर रिश्ता बचा रहे थे हम ।
मुहब्बत उसे भी है खुदको बता रहे थे हम ।
लौट आएगा वापिस तो लिपट कर रोयेंगे दोनों ।
खुद से फरेब बाखूबी निभा रहे थे हम ।
ख़ास ज़रूरत नहीं थी उसको मेरी ।
फिर भी बिना बुलाये ही वापिस जा रहे थे हम ।
उसका ज़िक्र हुआ तो किस्सा सुनाया हमने ।
उस किस्से में भी उसको अपना बता रहे थे हम ।
वक़्त रहते खुदको, आईना दिखा रहे थे हम ।
कागज़ पर नाम लिख उनका खुद ही मिटा रहे थे हम ।।

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16 FEB 2021 AT 13:04

मैं हँसता हूँ तनहाई में अक्सर उन बातों पर
काबू नहीं है मेरा, मेरे ही जज़्बातों पर ।
लिखता हूँ मैं और बिकता हूँ इन बाज़ारों में ।
तेरा आशिक़ हूँ लेकिन अकेला हूँ लाखों हज़ारों में ।
तुम तन्हाई में होती तो मैं तनहा न होता ।
तुम रुस्वा न होती तो अश्क़-ए-लम्हा न होता ।
लिखने लगता हूँ तुम्हें, मेरे अश्क़
गिर जाते हैं इन किताबों पर
काश ज़ोर होता मेरा, मेरे ही ख़्वाबों पर ।

मैं हँसता हूँ तनहाई में अक्सर उन बातों पर
काबू नहीं है मेरा, मेरे ही जज़्बातों पर ।

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23 NOV 2020 AT 16:45

तेरे हिस्से का वक़्त, आज संभाले बैठा हूँ ।
बीती यादों में वो लम्हें, आज खंगाले बैठा हूँ ।
जो वक़्त दिया करते थे, वो लम्हा याद आता है ।
बातें तो तेरी करता हूँ, पर दिल तुझे न ढूंढ पाता है ।
खुली किताब सा हूँ मैं, पढ़ न कोई पाता है ।
हर पल बिताया तेरे संग, अब मुझको यूँ सताता है ।
बातों में किस्सा आज भी तेरा होता है ।
सबके सामने हँसता हूँ, पर छुप छुप दिल ये रोता है ।
मत पूछ क्या है हाल मेरा, मैं साथ संभाले बैठा हूँ ।
बीती यादों में वो लम्हें, आज खंगाले बैठा हूँ ।।

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15 DEC 2021 AT 10:36

हम तो खुशियों की तलाश में निकले थे
और फिर तुम मिल गए ।

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26 SEP 2021 AT 8:48

दिन ढल जाता है रात के इंतज़ार में
रातें गुज़र जाती है सवेरा होते होते
लेकिन वो शाम नहीं आती अब
जो बचपन की यादें लौटा दे ।

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3 AUG 2021 AT 16:24

मेरा और उसका कुछ ऐसा किस्सा है कि
मेरी ज़िन्दगी का वो बेहद खूबसूरत हिस्सा है ।।

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