Anjaan Jaana   (©Anjaan_jaana📝)
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Joined 22 March 2019


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28 JUN AT 14:04

फर्क है तभी तो यह तर्क है,
जो साथ न रहा वो कैसा हमदर्द है।
मैं कर भी लेता गुनाह-ए-आशिकी,
पर जो सिर्फ लम्हों में ही सिमट जाए क्या ही वो इश्क़ है।

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21 JUN AT 19:16

ये मन का अभाव है या तेरा प्रभाव पता नहीं,
कि तुझसे बेहतर मेरे मन को अब तक कोई लगा नहीं।
मैं ख्वाहिश भी कर लूं तो वो राह न ढूंढ़ पाऊंगा,
कि तेरे ज़िक्र बिना इस सफर को मैं पूरा कर पाऊंगा।
तू श्याही है मेरी उस अधूरी कहानी की,
कि जिसके बगैर ये नई दासतां न बयां कर पाऊंगा।

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15 JUN AT 16:53

बारिश की इन बूंदों में,
कई नई कहानी होती है।
कुछ सुलझी सी कुछ उलझी सी,
कुछ बेजुबानी होती है।
वो तेज हवा में बहती हुई,
मिट्टी होकर खिलती है।
कभी नाव सी मद्धम चलती है,
तो कभी तूफानों सी वो लगती है।


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25 MAY AT 9:08

कि हां कुछ चेहरे याद हैं अब बस,
जिनका ज़िक्र न बातों से है अब।
तन्हा सफर में ज़रूर गुनगुनाता हूं वो किस्से अपने,
जो आए थे कभी वो तराने हमारे हिस्से अपने।
महसूस तो अभी भी बहुत से एहसास है,
जो बता दें अगर सबको तो फिर क्या उनमें खास हैं।
वो मेरी तरह शायद तुमको भी प्यारे होंगें,
कभी तुमने भी उन्हें कहानी में तराशे होंगें।
अगर बात होगी कभी तो उन्हें एक दूसरे से सांझा करेंगें,
तुम अपने नगमे कहना हम अपने कलम बयां करेंगें।

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14 MAY AT 1:07

कुछ बात तो कुछ हालात है,
मन में रहते कई सवालात है।
कि वो होते तो हर पल अपना सा होता,
किस्से कहानियों का एक सपना सा होता।
हंसते खिलखिलाते यूं ही निकलता ये सफर,
मुश्किल वक्त भी तेरे साथ रह जाता गुज़र।
ये बंदिशें ये दीवारें न होती,
अपने ही कैद की ये सलाखें न होती।

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12 MAY AT 22:29

कोई गैर थोड़े ही था वो, जिससे दर्द-ए–ग़म हमको मिला है।
चंद अल्फ़ाज़ में पिरो कर, ये सितम हमको मिला है।
वहीं खूबसूरत सी वादियां है, वहीं गुलशन से नज़ारे है।
जो कुछ वक्त को हुए वो मेरे, नया जीवन कलम को मिला है।

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13 MAR AT 20:07

अगर कमी तेरी और मेरी खुशी की है,
तो चल साथ एक दूजे को फिर से खोजे हम।
एक दूजे के हाथ थामें,
उन्हीं गली कूचों से निकले हम।
जहां सारा जहां अपना हो,
सुबह की आंखों में फिर कोई नया सपना हो।
तू खिलती धूप सी मुस्कुराए,
शाम ढले तो ठंडक बन दिल को सुकून दे जाए।

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26 FEB AT 10:21

ये वक्त है जनाब, इसको गुज़रने का हुनर बाकमाल आता है,
जब भी तेरी गलियों से गुज़रता है काफिला मेरा, हर इमारत में तेरा ही नाम नज़र आता है।

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21 FEB AT 22:00

ये जो उम्मीद्दियों का दरिया है,
बिन मौसम बारिश भी एक ज़रिया है।
ये कश्ती दिलों की उफान पर है,
ये रहमो करम बस ज़ुबान पर हैं।
है बाती सा जलता ये नाम तेरा,
पहलुओं से डरता ये मान मेरा।
तुझे कीमती ये सामान लगे,
एक बोझ तले मेरी जान लगे।

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21 FEB AT 20:28

वो बात कुछ इस कदर करते थे,
हर बात में अपना एक हुनर रखते थे।
चीरते थे दिल को जब तंज वो मारते थे,
भोली सी शक्लों से मनाना भी जानते थे।
कहते थे जिंदगी को एक फलसफा,
और होते थे मुझसे हर बात पर खफा।
चमक थी मेरी उनके चेहरे की एक झलक,
आईना थी आँखें जो रहती थी एकटक।
कमाल थे बेमिसाल थे वो किस्से वो तराने,
एक अकेले कागज में कहां जाएंगे ये समाने।

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