Anjaan Insaan   (word.monger)
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मंज़िल से भटका हुआ मुसाफिर
Joined 14 August 2021


मंज़िल से भटका हुआ मुसाफिर
Joined 14 August 2021
22 OCT 2021 AT 9:52

उम्मीदों की कश्ती मे सवार था मैं
एक उम्मीद साथ लिए की
जब देखूँ मैं किनारा
तेरा हाथ देगा सहारा
झूठी उम्मीदों मे ही जिंदगी जी गया
तन्हा था, मैं फिर तन्हा रह गया

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7 OCT 2021 AT 23:18


सच कहूँ तो अभी भी सताती है तेरी यादें
हमेशा याद आती है तेरी प्यारी-प्यारी बातें
वो एक साथ बिताए हसीन रातें
याद ही रहेगी जब तक चल रही मेरी सांसें

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26 AUG 2021 AT 23:49

मैं तो भटकता मुसाफिर हूँ
मेरा कोई आशियाना नही
अगर मिल जाए तेरे दिल मे पनाह
तो बस जाएंगे इक कोने मे कहीं

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18 AUG 2021 AT 14:05


ज़िन्दगी की कश्मकश की कश्ती लेके चला हुँ मैं
ढूंढ़ने अपना वो किनारा जहाँ होगा नया सवेरा |

तूफानों और भवंडर से लड़के पाउँगा मंज़िल मैं
या शायद कभी देख ही ना पाऊँ वो किनारा ||

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16 AUG 2021 AT 9:21

जाने अनजाने मे कैसे हो गए हम बेगाने

ये पहेली ना मैं जानूं ना तू जाने ||

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15 AUG 2021 AT 21:47

तेरे जाने का ग़म बहुत है, लेकिन अब दर्द नहीं |

तू दवा ज़रूर है, लेकिन अब मैं वो मर्ज़ नहीं ||

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15 AUG 2021 AT 15:08

बात लफ़्ज़ों तक ही पहुँची, कभी बयान नहीं कर पाया |

अब हो गयी देर काफी, अब ना साथ तू है ना तेरा साया ||

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15 AUG 2021 AT 10:26

निकलता हूँ बीते हुए कल से, फिर तेरी यादें मुझे खींचती है
मगर क्या तू जानता है मेरा वक़्त कितना क़ीमती है|

हर राह मे हूँ तो अकेला लेकिन बस अनजानों की भीड़ सी है
गिरता रहता हूँ हर बार ना जाने जिंदगी क्यूँ ढीठ सी है||

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15 AUG 2021 AT 10:22

कैद किया है मैंने खुद को शोर मे, लेकिन अब मेरी खामोशियांँ चीखती है
जिंदगी मे खाए बहुत ठोकर मगर, रोज वो कुछ ना कुछ सीखती है |

छल कपट और धोखे की दुनिया, उनसे ऊपर न्याय की नीति है
जो तूने बोया है वही तू पाएगा यही तो कर्म की रीति है ||

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15 AUG 2021 AT 10:16

ना बुझ सके कभी, मेरे अंदर जल रही है ऐसी आग
रोकता हूँ खुद को, ना लगे कोई लांछन या दाग |

जिंदगी तो चलती रहेगी गाते हुए अपने राग
लेकिन रुकना पसंद नहीं इसे, उड़ान से पहले लेगी भाग ||

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