Anita Singh   (Kashish)
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Joined 31 July 2020


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20 JUL AT 0:47

वो जगह वो यादें वो मंज़र देखो ना कुछ भी धुंधला न हुआ
एक तू है जिसे हर वक़्त ये लगता है कि सब कुछ ज़ाया ही था

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15 JUL AT 22:34

लाख सजने संवरने पर ऐतराज़ है पुरुषों को
लुभाती उन्हें भी सुंदरियां हैं सादगी भाती नहीं

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15 JUL AT 22:26

बेहद हसीन वो पल थे
आज घिर गए हैं जिम्मेदारियों में
जो खोजते थे कल तक सुकून खुद में

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10 JUL AT 8:23

उठाई हैं जिस जिस ने मेरे किरदार पर उंगलियां
दरख्वास्त है उनसे मेरे जनाजे में शामिल ज़रूर हों

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5 JUL AT 0:11

ऐ शुक्रवार आज तूने जो सुकून मुझे दिया है
वो बीता शनिवार और इतवार भी न दे पाया
दिल ने आज ये महसूस किया दिन ख़ास नहीं
किसी का साथ और अहसास खास बना देते हैं

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2 MAY AT 1:11

रगो में इश़्क है और दिल में है ज़ज्ब तू
आंखों में तेरा नूर है ज़हन में तेरा फ़ितूर
जाहिर-ए-जज़्बात नहीं रुह का सुकून तू
मेरी आख़री सांस तक मेरा वज़ूद है तू ...

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29 APR AT 14:46

इतनी तेज़ धूप में कोई हमसाया तो है
मैं उसकी नहीं वो मेरा सरमाया तो है
हमसे बदले में पा सका न वो कुछ भी
खुदा की रहमत से ज़िंदगी में आया तो है

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8 MAR AT 20:31

नारी वह पारस पत्थर है जिसे छूकर रिश्ते सोना हुए
अपनी इच्छाओं का नि: स्वार्थ दमन कर वो त्यागमूर्ति बने

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3 MAR AT 20:37

या तो यूं होगा कि मेरी चुप का, उसे शोर सुनाई देगा
या फिर अपनी शिकस्त का तमाशा हम ख़ुद ही देखेंगें

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25 FEB AT 16:23

तन्हा मुसाफ़िर हूं अपने सफ़र की
संग में लाखों साजो सामान है लेकिन
मन में रखना है कोई भार नहीं
उन सबको है आभार जो देते हैं साथ
छोड़ गए जो मझधार उनसे गिला नहीं
बस ख़्वाहिश है दिल न दुखे किसी का
सरल हो सफ़र बस अरमान है यही...

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