Anita Singh   (Kashish)
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Joined 31 July 2020


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31 MAR AT 13:47

कुछ ग़ज़लें,चंद अशआर,बिखरे ख़्याल,अनगिनत बातें
सुकून छीन लिया सरकार तुमने ख़ुद को हमसे छीनकर

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31 MAR AT 12:09

हां बहुत ही सरल है
उसे छोड़ना जिस से प्रेम न हो
कितना कठिन है उसे छोड़ना
जिस से अगाध प्रेम हो

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1 MAR AT 0:18

तुम तो हो गए जान 29 वाली फरवरी
चार दिन की ज़िन्दगी में इंतज़ार हो गए

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17 FEB AT 22:05

हर प्रेयसी का भाग्य यूं उदीप्त नहीं होता,
सबके गेसुओं को गुलाब नसीब नहीं होता।
कुछ प्रेयसियां तरसती हैं बाहों के पाश को,
हर प्रेमी युगल प्रीत में ख़ुशनसीब नहीं होता।

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17 FEB AT 19:52

मैंने देखें हैं झूठी दलीलों से,अकड़े जीते हुए लोग ।
मुझे मिलें हैं सच्चे बेगुनाह,सर झुकाए हारे हुए लोग।

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17 FEB AT 12:10

अजीब है न कि एक ही गुलाब से शुरू और ख़त्म ये कहानी होगी,
अजीब है न कि पहली ही मुलाकात हमारी आख़िरी मुलाकात होगी ।

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17 FEB AT 3:04

कभी है बिखरा अल्फाज़ों में
कभी बहा है नयन के रस्ते
कभी है ठहरा भावों में
कभी है आहत चाहों में
कभी सिमट के सारा दर्द
बन जाता है इक नासूर
कभी बस जाता है हृदय के
एक छोटे कोने में जीवन भर
रिसने की ख़ातिर ....

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17 FEB AT 2:46

इश्क़ है बिखरा टुकड़ों में
वज़ूद हुआ है चूर-चूर
ज़ज्बात हुए हैं ज़ख्मी
दिल है बेबस मजबूर.

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14 FEB AT 2:20

Keep smiling and keep growing....
Thank you for your support Maan ji
🙏🙏🙏🙏🙏

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14 FEB AT 2:17

सादर प्रणाम सर,
आप एक अच्छे लेखक ही नहीं वरन् एक अच्छे पाठक भी हैं। लेखनी हमारे बीच का एक सुन्दर माध्यम है, इसलिए आपसे निवेदन है कि मेरी लेखनी को अपना मार्गदर्शन हमेशा दीजिएगा।
आपका अनंत आभार सर।🙏☺️

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