हर प्रेयसी का भाग्य यूं उदीप्त नहीं होता, सबके गेसुओं को गुलाब नसीब नहीं होता। कुछ प्रेयसियां तरसती हैं बाहों के पाश को, हर प्रेमी युगल प्रीत में ख़ुशनसीब नहीं होता।
कभी है बिखरा अल्फाज़ों में कभी बहा है नयन के रस्ते कभी है ठहरा भावों में कभी है आहत चाहों में कभी सिमट के सारा दर्द बन जाता है इक नासूर कभी बस जाता है हृदय के एक छोटे कोने में जीवन भर रिसने की ख़ातिर ....
सादर प्रणाम सर, आप एक अच्छे लेखक ही नहीं वरन् एक अच्छे पाठक भी हैं। लेखनी हमारे बीच का एक सुन्दर माध्यम है, इसलिए आपसे निवेदन है कि मेरी लेखनी को अपना मार्गदर्शन हमेशा दीजिएगा। आपका अनंत आभार सर।🙏☺️