हवा का रुख तेवर देखकर तेरे अब ये एहसास होता हैहवा का रुख बदलना भी बहुत हीं आम होता है जिधर भी ख़ुश्बुओं का काफ़िला सरेआम होता हैवही दिलबर वही महफ़िल खास-ओ-आम होता हैना तू जानिब मेरे,ना मैं जानिब तेरे ना मुलाकात होती हैमुहब्बत फासले का फिर यही अन्जाम होता हैबहुत मुमकिन है टूटे दिल ना हो अब ऐतबार फिर सेना मरहम हीं मिले ज़ख्मों को ना हीं आसरा फिर सेझुककर आसमां नीचे ज़मीं पे छोटा नहीं होतारस्मों को निभाकर इश्क की कोई धोखा नहीं होता।। -
हवा का रुख तेवर देखकर तेरे अब ये एहसास होता हैहवा का रुख बदलना भी बहुत हीं आम होता है जिधर भी ख़ुश्बुओं का काफ़िला सरेआम होता हैवही दिलबर वही महफ़िल खास-ओ-आम होता हैना तू जानिब मेरे,ना मैं जानिब तेरे ना मुलाकात होती हैमुहब्बत फासले का फिर यही अन्जाम होता हैबहुत मुमकिन है टूटे दिल ना हो अब ऐतबार फिर सेना मरहम हीं मिले ज़ख्मों को ना हीं आसरा फिर सेझुककर आसमां नीचे ज़मीं पे छोटा नहीं होतारस्मों को निभाकर इश्क की कोई धोखा नहीं होता।।
-
ना पूछो हाल-ए-दिल की बरस जाएंगी आँखेंडूबोगे ऐसे की किनारों को तरस जाओगेशक-ओ-शुबहा में गुजारोगे ज़िन्दगी अपनीबिखरोगे सरे आम फिर कोनों में सिमट जाओगे -
ना पूछो हाल-ए-दिल की बरस जाएंगी आँखेंडूबोगे ऐसे की किनारों को तरस जाओगेशक-ओ-शुबहा में गुजारोगे ज़िन्दगी अपनीबिखरोगे सरे आम फिर कोनों में सिमट जाओगे
इक धूल भरी शाम में मुलाकात हुई थीआँखों आँखों में हीं कुछ बात हुई थीधुंधले से नज़ारे हीं सही कुछ सहला गएबातों बातों में तुम्हारी उलझा से गएख्यालों की अंधी गली से ग़ुज़रे कई बार हर बार बस तुमसे हीं मुलाकात हुई । -
इक धूल भरी शाम में मुलाकात हुई थीआँखों आँखों में हीं कुछ बात हुई थीधुंधले से नज़ारे हीं सही कुछ सहला गएबातों बातों में तुम्हारी उलझा से गएख्यालों की अंधी गली से ग़ुज़रे कई बार हर बार बस तुमसे हीं मुलाकात हुई ।
उसके फ़रेब पे भी ऐतबार क्यूं आता हैइनकार पे उसके इकरार क्यूं आता हैछलावा ठहरा वो या चाहत नज़र कीहर तरफ हर कहीं वही नज़र क्यूं आता हे -
उसके फ़रेब पे भी ऐतबार क्यूं आता हैइनकार पे उसके इकरार क्यूं आता हैछलावा ठहरा वो या चाहत नज़र कीहर तरफ हर कहीं वही नज़र क्यूं आता हे
ना लम्हों की ख़्वाहिश कोई,ना वक्त की गुज़ारिश तुमसे ना शिकवे ना शिकायतें ना उम्मीद ना इंतजार कोईज़रा ऐतबार तो कर लें,चल तुझे बेपनाह प्यार हीं कर लेंइक उम्र के इंतजार में इक उम्र का इंतजार हीं कर लें -
ना लम्हों की ख़्वाहिश कोई,ना वक्त की गुज़ारिश तुमसे ना शिकवे ना शिकायतें ना उम्मीद ना इंतजार कोईज़रा ऐतबार तो कर लें,चल तुझे बेपनाह प्यार हीं कर लेंइक उम्र के इंतजार में इक उम्र का इंतजार हीं कर लें
गुलाबों में गुलशन समाते नहींतेरे रुख़ के कायल बनाते नहींसिमट जाए गुल में ख़ुशबू तेरीहैसियत भी इतनी दिखाते नहीं -
गुलाबों में गुलशन समाते नहींतेरे रुख़ के कायल बनाते नहींसिमट जाए गुल में ख़ुशबू तेरीहैसियत भी इतनी दिखाते नहीं
ये वही हम हैं या तस्वीर आलम-ए-तन्हाईहैं मुल्तवी सी ख़्वाहिशों के आगोश में साँसें -
ये वही हम हैं या तस्वीर आलम-ए-तन्हाईहैं मुल्तवी सी ख़्वाहिशों के आगोश में साँसें
जो लिख दिया काबिल जीने के हो गएवर्ना सुलग हीं जाते,अपनी हीं आग में -
जो लिख दिया काबिल जीने के हो गएवर्ना सुलग हीं जाते,अपनी हीं आग में
करते रहे कवायद उसे मनाने की उम्र भरबाखबर मेरे हालात से,ज़िद्द में रहा वो उम्र भर -
करते रहे कवायद उसे मनाने की उम्र भरबाखबर मेरे हालात से,ज़िद्द में रहा वो उम्र भर
क़समक़सम ने क़सम ली क़सम से क़सम कीक़सम हम निभाएंगे,क़सम ने क़सम लीक़सम ने क़सम से क़सम को था मानाना जाने क्यूं क़सम ने क़सम तोड़ डालाये कैसी क़सम ली थी तुमने क़सम सेक़सम ना निभाई किसी ने क़सम सेक़सम बेगुनाही ना कर पाया साबितबिख़रा क़सम खुद अपनी क़सम सेक़सम ने समेटा है फिर से क़सम कोकैसी ये रीति बनाई क़सम ने । -
क़समक़सम ने क़सम ली क़सम से क़सम कीक़सम हम निभाएंगे,क़सम ने क़सम लीक़सम ने क़सम से क़सम को था मानाना जाने क्यूं क़सम ने क़सम तोड़ डालाये कैसी क़सम ली थी तुमने क़सम सेक़सम ना निभाई किसी ने क़सम सेक़सम बेगुनाही ना कर पाया साबितबिख़रा क़सम खुद अपनी क़सम सेक़सम ने समेटा है फिर से क़सम कोकैसी ये रीति बनाई क़सम ने ।