Anita Sharma  
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शब्द , अर्थ और काव्य का संगम ,"त्रिवेणी"
Joined 24 May 2020


शब्द , अर्थ और काव्य का संगम ,"त्रिवेणी"
Joined 24 May 2020
29 JAN 2022 AT 22:18

सुख तो शायद इस दुनिया में नहीं मिलेगा

हर सुखी आदमी सुख ढूंढ रहा है— % &

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29 JAN 2022 AT 22:14

प्यार जुदा कर देता है
हमें हर उस इंसान से

ज़िन्दगी में जो हमें
सबसे प्यारा होता है— % &

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29 JAN 2022 AT 22:08

तिनका तिनका जोड़ कर
बनाया आशियाना दो पंछियो ने

आंधियो ने रौंद कर
तिनके बिखेर दिये— % &

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26 JAN 2022 AT 18:59

देश भक्ति पर शीष कटाना
सिर्फ सैनिकों का काम नहीं

राष्ट्र भक्ति पर बलि है जाना
जिम्मेदारी सबकी है,


सरहद पर रक्षा है करता
प्रहरी की बात अनोखी है

घर के भीतर घुसे न दुश्मन
जिम्मेदारी सबकी है,

लड़ रहे आपस में जब सब
मित्रता की बात अनोखी है

तीसरा कोई न लड़वा जाए
जिम्मेदारी सबकी है,

ऊँचा ध्वज लहराते देखना
खुशी हम सबकी है,

ध्वज पर कोई आंच न आए
जिम्मेदारी सबकी है।

अनिता शर्मा**त्रिवेणी**

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25 JAN 2022 AT 12:54

वही हैं दिन,वही हैं रात,वही मै और तुम

किसे ढूंढती नज़र,फिर बताओ मुझे कसम

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23 JAN 2022 AT 23:09

दिया वक़्त मैंने ज़िन्दगी भर का सारा

उस इक लम्हे की कीमत क्यों न जान पाए?

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23 JAN 2022 AT 23:02

सदाचार ,सद विचार से
होती तेरी पहचान
दुःख दूजे का समझ सके
हो तेरी पहचान।

काम जो दूजे के भी आए
मूक प्राणियों को भी भाए
दुआ यदि न मिले किसी की
बददुआ भी न लग पाए

व्यक्तित्व तेरा इतना हो धनी
जहाँ कहीं गर खड़ा हो जाए
पहचान न पूछे तेरी कोई
सौ में एक अलग नज़र आए,

इतना उम्दा हो तेरा हर कदम
कि घर से निकले
और पड़ोसी को भी
खुशबू आ जाए।

अनिता शर्मा**त्रिवेणी**

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23 JAN 2022 AT 21:43

तुम मुझे खून दे दो
मैं दिलवा दूंगा आज़ादी
गौरव नेताजी देश के
समझा गए हमें आज़ादी,

23 जनवरी जन्म दिवस है
ऐसे पूत का जन्म हुआ
जिसे पाकर भारत माता
का भी आँचल धन्य हुआ,

गर्म खून रगों में बहता
जोश से परिपूर्ण थे
जन्मभूमि को स्वतंत्र करने
दल- बल संग तत्पर थे,

आज़ाद हिंद सेना उनकी
संगठित बलशाली थी
भारत माँ की लाज बचाने
कदम उठाती जाती थी,

चरैवेति संदेश गूंजता
नित सुभाष मुख मण्डल से
लहू खौ लने लगता सबका
शत्रु से दो हाथ करने में,

ऐसा वीर सेनानी निराला
जो विरला ही होता है
ऐसा भारत राष्ट्र हमारा
नेता एक सुभाष ही होता है।



अनिता शर्मा**त्रिवेणी**

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23 JAN 2022 AT 15:23

कठिन है राह मालूम ,उस पार फिर भी जाना

लहरों संग खेलते हम,न जानते यूँ रुकना,

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22 JAN 2022 AT 19:02

आसमान सुन,कहाँ है तेरी थाह?

ढूंढ रही हूँ मैं,हर जगह मेरी चाह

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