Anita Puar   (anitapuar)
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Joined 29 April 2021


Joined 29 April 2021
13 JUN 2022 AT 9:50

खुद की ज़िंदगी से परेशान हैं वो लोग
जो तुझे नीचा दिखाना चाहते हैं..
तू सर उठाकर देख
तेरे आगे पूरा आसमां पड़ा है...

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9 JUN 2022 AT 0:32

क्यों तुम्हें किसी के बोलने का इंतज़ार है..

खुश होने के तो रास्ते हज़ार हैं..

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27 MAY 2022 AT 13:14

आखिर वक़्त ने ऐसा वक़्त दिखा दिया..

कि जो कोई न सिखा पाया...
वो कम्बख्त वक़्त ने सिखा दिया...

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26 MAY 2022 AT 11:07

अकसर एक आवाज़ आती है..

कि क्यों तू उनमें खुद जैसों को ढूँढ़ती है..
अपने काम से काम रख..
क्यों दोस्तियां ढूँढ़ती है..

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25 MAY 2022 AT 14:28

चल वहां जाते हैं..

उस ढलते सूरज की रंगीन रोशनी की ओर..
जो ढलता तो है..
पर जाते जाते कल की उम्मीद जगा जाता है..
आज नहीं तो कल सच होंगे जो..
उन सपनों के घर की दहलीज सजा जाता है..

चल दहलीज के उस पार जाते हैं..
बहुत दूर मगर साथ में एक आशियां बनाते हैं..
चल वहां जाते हैं... ❤

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24 MAY 2022 AT 22:06

होते होंगे लोगों के दोस्त जो सिर्फ दुख़ में साथ निभाते हैं ..
अपने तो वो हैं..
जो हर छोटी बड़ी खुशी में भी साथ खुल के खुशी मनाते हैं..

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23 MAY 2022 AT 10:17

लेकिन इन बारिश की बूंदों का गिर जाना ज़रूरी था..
कभी मिलना ज़रूरी था...
कभी बिछड़ जाना भी ज़रूरी था..

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20 MAY 2022 AT 23:57

कुछ सोच के लिखती हूँ तो लिखा नहीं जाता..
बिना सोचे लिखने जाऊं तो पन्ने कम पड़ जाते हैं..

कुछ मोड़ ज़िंदगी में ऐसे आ जाते हैं..
किस ओर मुड़ें हम समझ ही नहीं पाते हैं..

जहां हैं वहां बेजान महसूस करते हैं..
जहां नहीं हैं वहां होने की चाह रखते हैं..

फिर छोड़ देते हैं ये सोचके कि..
" शायद यही जीना है
शायद इसी को ज़िंदगी कहते हैं.."

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19 MAY 2022 AT 14:08

कभी कभी कुछ लम्हे सिर्फ ज़िंदा रहने के लिए जिये जाते हैं ..
उनमें जान नहीं होती ..
अपनों से दूर रहकर हम नाम तो बहुत कमा लेते हैं ...
लेकिन हमारी अपनी कोई पहचान नहीं होती ..

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18 MAY 2022 AT 20:26

जितनी थी ज़िम्मेदारियां सब निभायी हैं..
अब जीने की बारी मेरी आई है...

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