खुद की ज़िंदगी से परेशान हैं वो लोग
जो तुझे नीचा दिखाना चाहते हैं..
तू सर उठाकर देख
तेरे आगे पूरा आसमां पड़ा है...
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क्यों तुम्हें किसी के बोलने का इंतज़ार है..
खुश होने के तो रास्ते हज़ार हैं..-
आखिर वक़्त ने ऐसा वक़्त दिखा दिया..
कि जो कोई न सिखा पाया...
वो कम्बख्त वक़्त ने सिखा दिया...
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अकसर एक आवाज़ आती है..
कि क्यों तू उनमें खुद जैसों को ढूँढ़ती है..
अपने काम से काम रख..
क्यों दोस्तियां ढूँढ़ती है..
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चल वहां जाते हैं..
उस ढलते सूरज की रंगीन रोशनी की ओर..
जो ढलता तो है..
पर जाते जाते कल की उम्मीद जगा जाता है..
आज नहीं तो कल सच होंगे जो..
उन सपनों के घर की दहलीज सजा जाता है..
चल दहलीज के उस पार जाते हैं..
बहुत दूर मगर साथ में एक आशियां बनाते हैं..
चल वहां जाते हैं... ❤-
होते होंगे लोगों के दोस्त जो सिर्फ दुख़ में साथ निभाते हैं ..
अपने तो वो हैं..
जो हर छोटी बड़ी खुशी में भी साथ खुल के खुशी मनाते हैं..-
लेकिन इन बारिश की बूंदों का गिर जाना ज़रूरी था..
कभी मिलना ज़रूरी था...
कभी बिछड़ जाना भी ज़रूरी था..-
कुछ सोच के लिखती हूँ तो लिखा नहीं जाता..
बिना सोचे लिखने जाऊं तो पन्ने कम पड़ जाते हैं..
कुछ मोड़ ज़िंदगी में ऐसे आ जाते हैं..
किस ओर मुड़ें हम समझ ही नहीं पाते हैं..
जहां हैं वहां बेजान महसूस करते हैं..
जहां नहीं हैं वहां होने की चाह रखते हैं..
फिर छोड़ देते हैं ये सोचके कि..
" शायद यही जीना है
शायद इसी को ज़िंदगी कहते हैं.."-
कभी कभी कुछ लम्हे सिर्फ ज़िंदा रहने के लिए जिये जाते हैं ..
उनमें जान नहीं होती ..
अपनों से दूर रहकर हम नाम तो बहुत कमा लेते हैं ...
लेकिन हमारी अपनी कोई पहचान नहीं होती ..-
जितनी थी ज़िम्मेदारियां सब निभायी हैं..
अब जीने की बारी मेरी आई है...-