16 MAY 2018 AT 21:28

कितना अनमोल शब्द है ...
सुनते ही..जहन में कई रिश्तें तैरते..नजर आते है..
जैसे समुन्दर में नाव..लहरों से अठ्खेलिया करती है,
उसी तरह ये,रंगीन रिश्तें इस धरती पर..
अपनी रंगीनिया बिखेरते हुऐ...
हमारे इस जहाँ(जीवन )कॊ महकाते है..😊😊

- Anita pathak