Anita Gahlawat   (Anita Gahlawat)
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लेखन मुझे बेहद पंसद है
Joined 4 May 2019


लेखन मुझे बेहद पंसद है
Joined 4 May 2019
11 FEB AT 14:40

मन करता है मीठेे लम्हों की कसक साथ लेकर
यहां से कहीं दूर चले जाएं....
मिलना इत्तेफाक था जुदाई मनमर्जी से लेकर एक बार फिर अजनबी बन जाएं..

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29 NOV 2024 AT 19:54

माना नारी जात
झगड़े के बाद किसी भी मामले में
पहले बोलने की पहल नहीं करती ।
पर सामने से कोई जवाब आये!
इंतजार तो करती है ।।
😂


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7 NOV 2024 AT 9:34

हर किसी के पास कुछ ना कुछ नजर आया,
पर समय किसी के पास न था।
सारा शहर वक्त की मार में भागम-भाग सा पाया,
पर हसरतों से कोई संतुष्ट न था ।।

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7 NOV 2024 AT 9:11

अक्स भले ही सुंदर ना हो
पर किरदार खूबसूरत है तो
महक बढ़नी लाजमी है ।

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7 NOV 2024 AT 9:03

सहर में उड़ते परिंदे मस्ती की झोल में बयार की तरह बहते दिखते हैं
और
धरती पर मानवीय परिंदें बैचेन से सारे दिन भागम-भाग दिखते हैं

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6 NOV 2024 AT 19:37

हसरत थी उनको देखने की ,
आंखें रास्ते पर टिकी रही !
पर वो कभी पलट कर आये नहीं
और इंतजार की बेचैनी आज तक खत्म न हुई!!

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25 AUG 2024 AT 18:26

दोस्ती कभी लुभाती नहीं
आकर्षण अलग बात है

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25 AUG 2024 AT 7:02

तुम अपना इश्क कहीं ओर आजमा रहे थे,
और हमने खुद को आजमा कर देखा
जो तुम्हारी इज्जत को चार चांद लगा रहे थे
पर तुम्हें मेरे जज्बातों की कोई कद्र न थी

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24 AUG 2024 AT 23:11

तुम्हारी बेवफाई
मेरे शौक़ खा गई

- Anita Gahlawat




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24 AUG 2024 AT 17:18


जब विश्वास टूटता है तो
वफा की महक को खामोश कर देता है

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