हालात ही कुछ इस तरह था की हम समझौता कर बैठे ,
वरना फराज़ तुझे तो पता है की हम वैसे नहीं थे ।-
मैं रोज एक तमाशा ज़िंदगी में देखती हूं,
और लोग कहते हैं मैं सुकून का बड़ा शौक़ीन हूं।-
मैं अपनी तिज़ोरी की चाबी अपने पास रखती हूं ,
अगर गैरों की हाथ लग गई ना तो कितने बस्तियों में आग लग जाएगी।-
स से स्याही है
श से शिक्षक है
क्यों डरूँ में तूफ़ान से
जब गुरु बाणी मिली है साई से
हर एक क़दम साई के नाम
चरणों में प्रभु तेरी कोटि प्रणाम ।
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दिल की बात कभी जुबान में आने नहीं दिए ,
मेरा ख़ुदा बहत बड़ा है इकबाल
बिन कहे सुन लेता है बिन मांगे दे देता हैं ।-
खुश थे हम की हमारे अपने बहुत हैं ,
जब अपने बेनकाब हुए तो पता चला कि हम उस मक़ान में ही नहीं थे ।-
ये यादें बड़ी तकलीफ़ देते हैं ग़ालिब ,
और लोग पुछते हैं की हम पंछियों से लगाव क्यों रखते हैं ।-
दिल जब चाहे तो एक ख़ुबसूरत अल्फ़ाज़ लिख जाए , ये धड़कन स्याही बन जाए और महफ़िल उसका नाम गुन गुनाएँ ।
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बिन बुलाए मेहमान की तरह आ भी जा ए मंज़िल ,
अब औऱ भटकना नहीं है मुझे
मेहमाननवाजी में कोई कसर नहीं होगी
तु एक बार दरवाज़ा खट खटाकर तो देख ।-
नसीब में होता है इश्क़ मुकम्मल होना ,
खुदा ने तुम्हें चुना है उसका ख़्याल रखना ।-