Anisha Singh   (Anisha ✍️)
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Joined 15 May 2021


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Joined 15 May 2021
26 OCT 2022 AT 19:12

रिश्ते में रह न जाए प्यार
बस एक तरफ से रिश्ता बचाए रखने
का सिलसिला बन जाए बार बार.!
क्यों ख़ुद को मिटा
रिश्ता एक तरफा निभाए बार बार.!
दर्द भी होगा, मुश्किल भी होगा...
खुद के लिए मूव ऑन जरुरी भी होगा.!
जब रिश्ता बचाने में
झुकना हो तुम्हें ही हर बार.!!

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26 OCT 2022 AT 19:11

'मूव ऑन' जरुरी है
रिश्ते को खत्म करने के लिए नही...
बल्कि खुद के आत्म सम्मान के लिए
घुटन से निपटने के लिए.!
'मूव ऑन' जरुरी है
रिश्ते में जब झुकना पड़े बार बार..
छोटी-छोटी बातों में
होने लगे टकरार.!
शक ,अविश्वास का हो बार बार वार...
सफाई देना पड़े,
साबित करना हो खुद को हर बार.!

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7 MAR 2022 AT 19:48

संग थे हम अभी थोड़ी देर पहले ही
हुआ यूं कि फिर नींद खुल गई.!

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7 MAR 2022 AT 19:44

कदर करने वाले लोंगों को,
हमेशा बेकदर लोग ही मिलते हैं.!

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7 MAR 2022 AT 19:43

बहुत अंदर तक तोड़ देते है वो लोग
जिन्हें बड़ी शिद्दत से चाहा जाये.!

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7 MAR 2022 AT 19:40

लौटते तो वो हैं जो रूठकर चले जाते हैं ,
टूटकर जाने वाले लौटा नहीं करते.!

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7 MAR 2022 AT 19:39

ये भी तो खासियत ही है ,
कि किसी के खास नही हैं हम..!

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31 JAN 2022 AT 14:02

कदमो को बाँध न पाएगी मुसीबत की जंजीरें.!
रास्तों से जरा कह दो अभी भटकी नहीं हूँ मैं.!!— % &

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30 JAN 2022 AT 17:08

मेरा अस्तित्व ही है मेरी पहचान
सिर्फ स्त्री नहीं, मैं हूँ इंसान.!

बहन-बेटी हूँ, पत्नी हूँ और माँ भी
पर दिल में मेरे भी हैं कुछ अरमान.!

निभाती हूँ हर फर्ज बिना शिकायत
बस चाहती हूँ सबसे अपना सम्मान.!

टूटी हूँ, बिखरी हूँ, उजड़ी हूँ कई बार
फिर भी कायम है मेरा स्वाभिमान.!

ख्वाब मेरे कुछ पूरे हैं, कुछ हैं अभी अधूरे,
पा लूंगी एक दिन मैं अपना आसमान.!

अपने अस्तित्व के लिए हमेशा लड़ती रही दुनिया से
अब मेरे लिए जरूरी है मेरा घर, मेरा आत्मसम्मान.!

मेरा अस्तित्व ही है मेरी पहचान
सिर्फ स्त्री नहीं, मैं हूँ इंसान.!!— % &

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29 JAN 2022 AT 21:34

पानी की तरह होती हैं औरतें
जिस भी बर्तन में डालो
उसी का आकार ले लेती हैं.!
ख़ुशी का लाल रंग हो
या ग़म का काला रंग
ज़िन्दग़ी के हर रंग को
घोल लेती है खुद में
और सारी उम्र धुलती रहती है दूसरे के दाग़.!
पानी की तरह होती हैं औरतें
सींचती रहती हैं खुद को बहा कर
समाज के,परिवार के हर
चाहे अनचाहे रिश्ते को.!
दूसरों की अच्छाइयों का
दूसरों की बुराइयों का
कर लेती हैं खुद में विसर्जन
क्यूंकि,पानी की तरह होती हैं औरतें.!— % &

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