Anisha praveen   (Anisha praveen)
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Joined 13 February 2019


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Joined 13 February 2019
7 NOV 2022 AT 19:00

A simple fine day made special by you and all your wishes,
For that here I am reverting back with lots of love and kisses.

Just to express, you all are so precious to me and so are our memories,
Cheers to this bond of ours which I really cherish as my treasuries.

Indeed the days have passed but here in my hearts you all are forever,
Welcoming another year of mine and hoping we can make more memories together.

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23 OCT 2022 AT 16:26

ये दिवाली भी गुज़र जाएगी हजारों फूलझड़ी और दियों के साथ,
पर अगर किसी की जिंदगी का 'दिया' बन सको तो कोई बात है।

अंधेरे से दुश्मनी है मालूम है हमें, पर हवा का कुसूर क्या?
अगर उस बेकुसूर हवा से दोस्ती निभा सको तो कोई बात है।

दूर किसी मोड़ पर, कहीं किसी कोने में, कोई अंधियारे को अपना बैठा है।
अगर उसकी उजाले से दोस्ती करा सको तो कोई बात है।

अपने घर की रौनक, ये हंसी-खुशी तो पटाखों के शोर में भी गूंजेगी,
पर अगर किसी गरीब की गुमी हुई मुस्कुराहट सजा सको तो कोई बात है।

सबकी खुशी समक्ष होगी, उपहार भी होंगे और मुस्कान भी,
पर जिनके पास ये भी नहीं, उनके संग दिवाली मना सको तो कोई बात है।

कल जब पटाखों का शोर थम जाएगा, ये दिये भी बुझ जाएंगे,
तब भी अगर किसी की जिंदगी में जुगनू बन टिमटिमा सको तो कोई बात है।

हर साल हम दिवाली यूं ही पटाखों के नाम कर जाते हैं,
पर अगर इस बार दिवाली के 'सार' को अपना सको तो कोई बात है।

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7 OCT 2022 AT 12:40

तू भी सुन।
दिल को आजादी दे,
ख्वाबों को खुली वादी दे।
पंख खोल, अपनी चाहतों को उड़ने दे,
खुद को आजाद कर, उसे अपनी राह चुनने दे।
तू बस इश्क की धुन सुन,
और अपना नया संसार बुन।

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7 OCT 2022 AT 12:32

इसकी चाह थी।
ऐसे बिखरे हम,
न जाने कहां राह थी।
रूप देखा था, सुंदर - श्वेत,
न देखा, उनकी अतीत स्याह थी।
बेवफ़ाई, रुसवाई, ग़म, सितम,
सब लफ्ज़ जोड़े उसके इश्क से।
न जान पाए हम कि हमारा ग़म,
उनकी अश्कों की आह थी!

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7 OCT 2022 AT 12:19

खुद से मोहब्बत कर के देखो।
औरों पर यकीन बहुत किया, बहुत हुई नर्मी भी,
अब थोड़ा सख्त होके देखो।
दूसरों पर जान लुटाते रहे अबतक,
अब खुद को कुछ वक्त देके देखो।
आशिकी सिर्फ दूसरों से होती है, किसने कहा,
कभी खुद ही से इश्क करके देखो।

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6 OCT 2022 AT 0:10

हाथ थामकर,
करते हैं अब याद बस
अपने काम भर।
जानती मैं भी हूं, पर कुछ भी न कहा।
वो सच्चाई, वो रिश्ता, अब रहा कहां।
पर जो 'सच' दिखता भी नहीं,
अगर है कहीं, झूठा ही सही,
तो ऐ जिंदगी ले चल मुझे वहां,
झूठा सच बसता हो जहां।

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5 OCT 2022 AT 7:36

तुझे पाने के किस्से गढ़ते हैं।
तुझसे इज़हार करेंगे,
हर बार ये खुद को कहते हैं,
तू जो सामने आ जाता है,
हम चुप चाप ही रहते हैं।
तेरी एक मुस्कराहट पर दिलों जान कुर्बान,
कुछ इस कदर हम तुमसे मोहब्बत करते हैं।

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4 OCT 2022 AT 21:00

मेरे खोये रिश्तों को संग लाना।
उन्हें वो बचपन याद दिलाना,
टूटे दिलों को फिर से मिलाना।
वो आएं, तो चौखट पर पलकें बिछाना,
उनके नाज-नखरों पर तू बस मुस्कुराना।
खुशी इस बार तू जब मेरे घर आना,
मेरे आंगन को फिर खुशियों से भर जाना।
मेरे अपनों को अपनेपन का एहसास दिलाना,
मेरे मकान को तू फिर से घर बनाना।

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4 OCT 2022 AT 20:44

जितना भी संभालूं, फिर खो जाता है।
इस भूल-भुलैया में कुछ इस कदर फंसती जाती हूं मैं,
निकलने की कोशिश करती हूं पर और धंसती जाती हूं मैं।
मन का चाहा, यहां कौन पाता है,
सोचा कुछ और हो कुछ और जाता है।

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4 OCT 2022 AT 20:35

जब न कोई तन्हा होता।
एक-दूजे की गोद में सिर रख के सोते हम,
खुद को तन्हा पा फिर कभी न रोते हम।
काश उम्र भर हमारा साथ पाना होता,
रिश्ता होता कुछ ऐसा, जिसे हमें यूं निभाना होता।


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