ये सोच कर दिल बैठ जाता है
कैसे तू मेरे बग़ैर जी पता है ।
क्या मुश्किल नहीं होती
तुझे सांस लेने में ?
क्योंकि मेरा तो दम घुट जाता है ।-
मैं हूँ कोरे काग़ज़ सी
तू कलम की सिहाई है।
तुझे लिखना था प्यार मुझमें
तूने लिख डाली बेवफ़ाई है ।।-
आदत हो जाती हैं ख़ुद से बात करने की
फिर क्यों चाहिए किसी के साथ रहने की ।-
कहना तो बहुत कुछ चाहते हैं पर कह नहीं रहे ।
बहुत तूफ़ान है इस दिल में ,
दिखाना तो चाहते है पर दिखा नहीं रहे।
लिखना तो चाहते है पर लिख नहीं रहे ,
कहना तो बहुत कुछ चाहते हैं पर कह नहीं रहे ।
ख़ामोशी को समझ जाओ ये जज़्बात तुम में कहाँ,
समझना तो चाहते हैं पर समझा नहीं रहे ।
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उलझें रस्तों में चल रही हूँ कहीं किसी मोड़ में ये सुलझे यहीं सोच रही हूँ
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Jab mai uske sath apna emotions share kar rhi thi, wo kisi or k sath apna bed share kar rha tha….
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चाँदनी चमकती है
रात की गहराइयों में
हुस्न भी निखरता है
रात की तनहाइयों में।
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दुनियाँ के बदलते स्वरूप को ।
देखा नहीं जाता ,
लोगों के बदलते रंग और रूप को ।
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