Anisha Jain   (अनिशा जैन(Anisha Jain))
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I love to write poems and shayaris⭐️💥
Joined 30 May 2020


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21 APR AT 17:58

संगम देव का महावीर भगवान पर उपसर्ग
कैप्शन पढ़े...

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17 APR AT 21:06

राम लला का हुआ सूर्य की किरणों से अभिषेक
भास्कर वंशज राघव के जन्मोत्सव में उत्साह का अतिरेक।
रघुनन्दन का तिलक कर धन्य हुआ रवि
हर भक्त ने नैनों में उतार ली प्यारे राम लला की छवि।

सूरज की रोशनी से राम जी का हुआ दिव्य शृंगार
कौशल्यानंदन के प्रेम में डूबा सारा संसार।
दो अक्षर के नाम में बसी सकल सृष्टि
अवध के राजा सब पर बरसा रहे कृपा दृष्टि।

कई सदियों बाद सूर्य के तिलक से सुशोभित हुआ राम जी का ललाट
राघव के जन्म पर उनका तेज़ देख खुला सबके भाग्य का कपाट।
दर्पण से होते हुए सूर्य की आभा भगवान के श्री मुख पर पड़ी
राम लला का अलौकिक रूप देख सारी सृष्टि अचंभित हो खड़ी।

पंचामृत की धारा से कराया गया बालक राम को स्नान
दशरथ के दुलारे का हर भक्त के हृदय में स्थान।
भाग्यशाली है हमारी पीढ़ी जिन्होंने देखा प्यारे राम का सूर्य किरण से टीका
राम सलोने के बिना जीवन का हर रंग है फ़ीका।

सहस्रों राम करसेवकों का स्वप्न हुआ साकार
इतने वर्षों पश्चात राम लला के रूप में सबकी श्रद्धा को मिला आकार।
कितने श्रद्धालुओं ने दर्शन किए सूर्य की ज्योति में जगतपालक के
हम सदा भक्ति में गुणगान गायेंगे माता कौशल्या के बालक के।

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16 APR AT 22:24

वर्तमान के भगवान के उत्तराधिकारी है
पदारोहण की अब श्री समयसागर जी की बारी है।
आचार्य विद्यासागर जी की विरासत सँभालने की ज़िम्मेदारी है
समयसागर जी के आशीष से गौरवमय हुई जैन संस्कृति हमारी है।

आचार्य विद्यासागर जी का प्रतिरूप है
समयसागर जी इस काल में जैन संस्कृति का स्वरूप है।
पदारोहण के ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने का गौरव हो रहा प्राप्त
संत श्री समयसागर जी की अलौकिक छवि हर भक्त के हृदय में है व्याप्त।

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16 APR AT 8:55

राधा तुम साथ नहीं तो
मुरली भी बजती नहीं...
तुमसे दूर क्या हुआ
मेरी दुनिया प्रेम से सजती नहीं...

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15 APR AT 20:31

राधा हम कहीं भी रहे
मुरली की धुन में सदा तुम्हें बुलाएंगे...
चाहे हो जाए किसी के भी
पर तुम्हें कभी ना भुलाएँगे...

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15 APR AT 19:53

तुम मिले नहीं कान्हा
फिर भी तुम्हारे साथ लिया जाता मेरा नाम...
हम तुम एक हुए नहीं
फिर भी राधा का हो गया श्याम...

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15 APR AT 19:38

राधा तुम्हारी छवि मन में अंकित है
तुम्हारे प्रेम से हृदय की धड़कन तरंगित है...

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15 APR AT 9:26

"अनिशा" क्यों उनके इंतजार में
तुम वक़्त ज़ाया करती हो...
वो आयेंगे इस उम्मीद में
क्यों झरोखे पर आया करती हो...
वो कभी तुम्हारे थे ही नहीं
इस बात को तुम मान लो...
जिनकी मोहब्बत में तुम बावरी
वो किसी और से मोहब्बत करते ये जान लो...

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3 APR AT 18:30

सुदामा को निज सिंहासन बिठा
स्वयं कृष्ण बैठे उसके चरणों तले...
आरती उतारती सब पटरानी
श्री हरि लगाते अपने मित्र को गले...

सुदामा के पग से
काँटे निकाल द्रवित होते करुणानिधि...
कहाँ रहे सखा तुम इतने दिन
इतने दुःख भोगे कैसी ये नियति की विधि...

देख सुदामा की दयनीय दशा
फूट फूटकर रोते कृपानिधान...
पानी परात को छूते नहीं
अपने आँसुओं से सुदामा के चरण धोते भगवान...

जिन विष्णु का चरणामृत पीने को
तरसती रहती सृष्टि सारी...
सुदामा के चरण पखार रहे
वो कृष्ण चक्रधारी...

सारा ब्रह्मांड यह पावन
दृश्य देख रहा अपनी श्वास थाम...
अपने मित्र से भेंट कर
प्रसन्न होते प्यारे घनश्याम...

सुदामा के कई जन्मों के
पुण्य आज फलीभूत हुए...
कृष्ण सुदामा की मित्रता देख
तीनों लोक अभिभूत हुए...

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2 APR AT 15:40

फटे वस्त्र से ढका है उसका तन
नंगे पांव द्वार पर खड़ा एक ब्राह्मण निर्धन...
ना शीश पर पगड़ी की धारण
चकित नैनों से देखे महलों को ना जाने किस कारण...

बार बार पूछ रहा आपका पता करुणाधाम
बता रहा है सुदामा अपना नाम...
नाम सुदामा सुन कृष्ण दौड़े करने अगवानी
अधरों पर मुस्कराहट नयनों में पानी...

अपना सिंहासन छोड़कर चले भगवान मित्र को लिवाने
नंगे पैर जो आया चले उसे नंगे पैर मनाने...
जो कन्हैया के पग चलते फूलों पर
आज मित्र की ख़ातिर चल रहे प्रभु शूलो पर...

बालसखा की हो ना इस जग में हँसाई
सुदामा को सम्मान दिलाने आये कृष्ण कन्हाई...
द्वारका का राजा चला नेह का नाता निभाने
जगतपति स्वयं आये अपने मित्र की शान बढ़ाने...

सुदामा को श्री हरि ने सबके समक्ष अपने कंठ से लगाया
राजा रंक का भेद मिटा सबके हृदय में निस्वार्थ मित्रता का भाव जगाया...
कृष्ण सुदामा मित्रता की पवित्रता से सबके नयन हुए सजल
मित्रता की कसौटी पर कृष्ण सुदामा का मन था निश्चल...

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