ज़ख्म चाहे कितना भी पुराना हो।
जलता आज भी हैं।
तुम्हारी याद दिलाता आज भी हैं।
मोहबब्त नहीं धोखा था बताता आज भी हैं।-
असी नाज़ुक दिल दे लोग आ
साडा दिल ना यूं दुखाया कर
ना झूठे वादे करया कर ना झूठीया कसमां खाया कर
तेनु किनी वारी आख्या हैं मेनू वल वल ना अज़माया कर, तेरी याद दे विच में मर जा सन मैनू इन्ना याद ना आया कर।
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मुझे नहीं पता तुम्हें भुलाऊ कैसे? हमारे हर दिन हर रात की बात ही कुछ और थी। हमारे बीच बात हो या न हो पर वो बात ही कुछ और थी। तुम्हारा जाना महज़ इतेफाक तो नहीं उस ऊपर वाले की सोची समझी चाल थी।
अब हर दिन, दिन नहीं लगता न रात में वो बात हैं बस जो हैं बेहीजाब हैं।
पता नहीं में होकर भी हूं या नहीं हूं तुम्हारे पास पर मेरे पास तू बेहिसाब हैं। मेरी याद की किताब का वो पन्ना हैं जो अधूरा हैं पर सबसे ज़्यादा वो ही पूरा हैं। तुम नहीं हो मेरे साथ कभी— कभी झूठ लगता हैं और मेरा मन तुमसे मिलने को बात करने को ललचाता हैं और ये कंभकत उंगलिया अपने आप तुम्हारे नाम पर चली जाती हैं और महज़ याद आता हैं की तुम नहीं हो।
और वो एक खयाल फ़िर मुझे तोड़ देता हैं। और तुम्हारे आगे तुम्हारा नया परिवार हैं ये सोच कर मेरी उंगलियां अपने आप तुम्हारे नाम को सहला कर वही थम जाती हैं और बस यही सवाल पुछती हैं कि तुम्हें भुलाऊ कैसे?-
When someone said-
Ek he to dil h kitni baar logi...
Inner me-
Ek he to zamir h kitni baar giraoge...-
अफ़सोस तो इस बात का हैं कि तुम्हें
मुझसे कभी वैसी मोहब्बत हुई ही नहीं
जिसमे अना से ऊपर प्रेम हो।
जिसमें आखें अगर मेरी रो रही हो तो
सुकून तुझे भीं ना आए।
बस अफ़सोस इसी बात का हैं।-
जो तुम्हारा नहीं हैं उसे भुला दो
जाने दो उन्हें उनकी नई मंज़िल के पास
तुम उसका अतीत हो,
उन्हें उनका आने वाला कल बनाने दो।
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हर रात शराब का सहारा लेना पड़ता हैं,
तुम्हारा सहारा अब बेसहारा सा लगता हैं।-
तुम झूठ बोलते गए और हम उसे सच समझते गए ,
हम तुम्हे संभालते-संभालते खुद ही गिरते गए,
हम तुमसे इश्क करते रहे, और तुम इश्क के वादे करकर, हमे छोड़ दूसरों संग अपना दिल-ए-इकरार करते गए|
तुमने कहा तुम्हें हमारा ख्याल हैं और हम तुम्हारी बातों में बस गुम से गए, पर क्या पता था वो बातें सिर्फ़ बातें ही थी, सच्चाई का पता चलना तो अभी बाकी था|
तुम हमसे सब छुपाते गए और हमे लगा एक हम ही हैं जिसे तुम्हारे बारे में सब पता हैं |
अब लगता हैं वहम ही अच्छा था, सब जानकर भी अन्जान बने रहना अच्छा था, तुम सब छुपाओ अच्छा हैं, हम भी चुप रहे वही अच्छा हैं|
जिस रिश्ते को प्रेम और दोस्ती के धागे से पिरोया था लगता हैं अब उसमे गांठ पड़ना तय हैं,
तुम हो या न हो अब क्या ही फ़र्क पड़ता हैं,
अब क्या ही फ़र्क पड़ता हैं!-
जब मुझे कुछ हक ही नही तुम्हें बोलने का
तो क्या फ़ायदा मेरा रुकने का
हमारे साथ होने का
मेरा तुम्हारे साथ सपने संजोने का
ज़िन्दगी भर साथ निभाने का
मेरा तुझे सताने का
जब मेरा कुछ हक ही नही तुम्हें बोलने का
तो क्या फ़ायदा मेरा रुकने का!-
मेरा सफ़र,
मेरा हमसफ़र
मेरा हर मंजर
बस याद रह जाता हैं तो वो तेरे साथ बीताया हर पल
जिसमे तू हो या ना हो पर तेरा जिक्र हमेशा रहता हैं
अब ये प्यार हैं या बेबसी बस इसका जवाब तू या तेरा खुदा ही दे सकता हैं...-