आज भी मेरे खर्चे है..
खर्चे है तो चर्चे है..
अब भी मैं मनमोज हूँ..
हां मैं कवि हर रोज़ हूँ-
Senior Software engineer by profession
Poet and Photographer by heart
आज भी मेरे खर्चे है..
खर्चे है तो चर्चे है..
अब भी मैं मनमोज हूँ..
हां मैं कवि हर रोज़ हूँ-
मैं खुश हूं खुद की दुनिया में..
मुझे जीने दो..
है हाथों की लकीरों में मेरी फकीरी..
अमीरी रहने दो..
छूट गया है नोटों का बंडल मुझसे..
चिल्लर खोने दो..
अब और नहीं सहा जाए मुझसे हां..
आज पीने दो-
जिस दिन तुम से झगड़ना बंद कर दे..
समझ लेना उस दिन खो दिया तुमने मुझे.
जिस दिन हाथों में फिर से शराब हुई..
समझ लेना एक चोट तुमसे लगी है मुझे-
रुका संभला गिरा या हारा..
ना समझा ये दिल बेचारा..
पक्का मकान गिर गया मेरा..
ना भर पाया जिंदगी का किराया-
शांत हूं अभी..
धमाका बाकी है...
जहां तुम से बंदी ना पटी..
वो इलाका बाकी है
Sant hu abhi..
Dhamaka baki hai..
Jahan tum se bandi na pati..
Wo iilaka baki hai-