Anirudh Shrivastav   (अनिरूद्ध✒️)
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Joined 27 November 2016


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Joined 27 November 2016
27 MAR 2021 AT 23:36

वो जो उड़ा करते थे खुले आसमान में...
अब महदूद होकर रह गए हैं...
वो पंछी मेरे गांव के...
अब शहर में क़ैद होकर रह गए हैैं...

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16 MAR 2018 AT 12:19

khwaishon ko teri pankh deti hu main... Jitna b jhuka do mujhe fir tera sath deti hu main...
Apne he apna na samjhe jisko...
Ha vo ladki hu main...
Hazaaron ki bheed mai akele chlti hu main... kbi sab se laadti, kbi sab se pyar karti chalti hu main...
Maar dete ho mjhe paida hote he tum...
Fir b tmko naya janam deti hu main...
Ha vo ladki hu main...

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3 SEP 2020 AT 0:10

वो सफ़र जो रुक सा गया हैं...
ना जाने कब वो पूरा होगा...
उस पार हैं जाना राह-रौ को...
ना जाने कब ये सफ़र शुरू होगा...

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15 AUG 2020 AT 0:30

सिर्फ पहचान नहीं हैं...
ये हमारी जान हैं...
रहते हैं सब यहां...
किसी एक का नहीं ये जहान हैं...

मिलते हैं दिल सबके...
भले ही जुबान पर कटाक्ष हैं...
मुसीबतें हो कितनी भी...
जिंदगी जीने का अलग ही अंदाज हैं...

ये मेरा वतन हिंदुस्तान हैं...

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11 AUG 2020 AT 23:40

रोज आते हो मेरे दर पर, ना जाने क्या चाहते हो...
मेरी हिम्मत हो और मुझे से ही डर जाते हो...

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22 JUL 2020 AT 0:01

वक़्त की बातें ना करो अब वक़्त गुजरता ही नहीं...
ना जाने ये कैसा सफ़र हैं जो पूरा होता ही नहीं...

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1 JUL 2020 AT 1:00

गुलज़ार में आज भी खिला हैं एक गुलाब जिसको कांटों ने ढक लिया हैं...
हौसला तो देखिए गुलाब का उसने कांटों को भी अपने वश में कर लिया हैं...

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17 MAY 2020 AT 0:28

चल दिए हैं वो ना जाने कहाँ...
ना घर हैं यहाँ ना वहाँ...
बस पहुंचना हैं उन्हें किसी के पास...
कुछ हैं अपने भी उनके साथ...

शायद एक डर हैं जो उनको सता रहा हैं...
कौन हैं अपना कौन पराया नहीं समझ आ रहा हैं...
बस चल रहे हैं इधर से उधर...
देश का हर कोना हैं उनका कोई क्यों नहीं उनको ये बता रहा हैं...

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7 MAY 2020 AT 23:54

न जाने कितने असरार है चेहरें के पीछे...
ता-उम्र गुजर गई सुख़न-वर की उसको जानने में...

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27 APR 2020 AT 0:59

ख्वाब हो गए जो कभी ख्वाबों में आया करते थे...
पता पूछते हैं जो कभी रास्ते दिखाया करते थे...
ना जाने कहां खो गए वो लोग...
जो बिना बात के ही अपना बनाया करते थे...

तोलते हैं बातों को फिर कुछ नहीं बोलते हैं...
इस शहर के लोग न जाने क्यों इतना सोचते हैं...
सरल बातों में भी दिमाग लगाते हैं...
इस शहर के लोग दिल भी होता हैं क्यों भूल जाते हैं...

ना जाने कहां खो गए वो लोग...
जो बिना बात के ही अपना बनाया करते थे...

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