उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए-
"दिल दे तो इस मिज़ाज़ का परवरदिगार दे,
जो रंज की घड़ी को ख़ुशी में गुज़ार"-
"ज़ख्म इतने मिले फिर सिले ही नहीं,
दीप ऐसे बुझे फिर जले ही नहीं
व्यर्थ किस्मत पे रोने से क्या फायदा,
सोच लेना कि हम तुम मिले ही नहीं "-
"मुझे तुझसे मोहब्बत मगर मैं कह नहीं सकता ,
तेरी हर पल ज़रूरत है मगर मैं कह नहीं सकता ,
सूकून-ए-दिल हुआ ग़ारत उड़ी रातों की नींदें भी,
ये सब तेरी बदौलत है मगर मैं कह नहीं सकता,
बहुत मशरूफ़ रहता हूँ मगर तेरे लिए प्यारे
मुझे फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत है मगर मैं कह नहीं सकता,
जुदा होकर भी जिंदा हूँ मगर ये भी हक़ीक़त है,
जुदा रहना क़यामत है मगर मैं कह नहीं सकता "
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"मेरी खुशियों से पहचान न थी, हँसी मेरी मेहमान न थी,
साँसे तो चलती थी लेकिन जब तक आप न थी जान नहीं थी"-
"मेरी फ़ितरत में ही बेबफाई नहीं,तेरी तस्वीर अब तक जलाई नहीं,
इस इसी बात से दिल परेशान है, आज उसने नज़र क्यों मिलाई नहीं,
वो भी निकली नहीं दायरों से कभी, बात मैंने भी आगे बढ़ाई नहीं,
शीशा-ऐ-दिल पे हैं दाग-ऐ-गम बेशुमार, क्या करें दोस्ती रास आयी नहीं,
खामोशी को मेरी तू बुज़दिली तो न जान,मैन ताक़त अभी आजमाई नहीं,
हम भी वाकिफ़ बखूबी सियासत से थे, दुश्मनों से कहीं मात खाई नहीं
सुनो तुम उससे जख़्म खाने के बाद, ज़िन्दगी फिर कभी मुस्कुराई नहीं"
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जाने का मन में न हो हौसला, बेवज़ह घोसला मत बनाया करो,
उठा न सको तुम गिरे फूल को, इस तरह डालियाँ मत हिलाया करो,
वो समंदर नहीं था थे आंसू मेरे, जिनमे तुम तैरते और नहाते रहे,
एक हम थे कि आंखों की इस झील में, बस किनारे पे डुबकी लगाते रहे,
मछलियां सब झुलस जायँगी झील की,अपना पूरा बदन मत डुबाया करो,
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"सोचता हूँ तुझे सोचना छोड़ दूँ,
तेरी तस्वीर को देखना छोड़ दूँ,
ये अलग बात अब कोई रिश्ता नहीं,
इस तरह प्यार से देखना छोड़ दूँ"
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"कौन कहता है कि मोहोब्बत की ज़ुबाँ होती है,
ये वो हक़ीक़त है जो निगाहों से बयाँ होती है"-
“दिखावे से दूर, हकीकत से वास्ता हो...
ज़िन्दगी सरल हो भले ही ,कठिन रास्ता हो "-