चुपचाप बैठा हूँ खामोशियों की भीड़ में,
हर आहट लगती है जैसे तेरी ज़ंजीर में।
वो लम्हे जो तेरे साथ कभी मुस्कराए थे,
अब याद बनकर आँखों में उतर आए हैं।
तन्हाई डसती है, जैसे कोई साँप पलकों पर बैठा हो,
हर ख़ुशी का ज़हर, दिल में धीरे-धीरे पैठा हो।
न कोई आवाज़, न कोई साया साथ चले,
बस तेरा नाम ही अब दिल से बातें करे।
दीवारें भी अब सवाल करने लगी हैं,
तेरे बिना ये रौशनी भी चुभने लगी है।
हर चेहरा अब अजनबी सा लगता है,
तेरे जाने के बाद खुद से भी डर लगता है।-
"शब्दों की रानी — दीप्ती"
जब स्याही को स्नेह मिला,
और भावों को बहाव,
तब जन्म हुआ एक कवयित्री का —
नाम था दीप्ती, जिसने शब्दों को दी चिर नवीन छांव।
हर अक्षर जिसकी उंगलियों से गीत बन जाता है,
हर श्वास में कविता का कोई बीज उग जाता है।
वो सिर्फ लिखती नहीं,
वो तो रचती है जीवन की पूरी भावना को…
तितलियों की मुस्कान से लेकर
आंसुओं की खामोशी तक,
उसकी कलम में है वो जादू
जो छू जाता है दिलों की हर दहलीज़ तक।
आज उसका जन्मदिवस है
न केवल एक दिन,
बल्कि शब्दों की पूजा का त्योहार है ये,
जहाँ हर पंक्ति उसके नाम से रोशन है।
जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई 🎉🍫🎂-
भीगी रातें कहर बन के आई हैं,
तेरी यादें फिर से भरमाई हैं।
चाँद भी चुप है, सितारे खामोश,
तेरी बातें दिल को बहलायी हैं।
हवा में तेरी खुशबू बसी हुई,
बरसातों ने तन्हा महफिल सजाई हैं।
हर बूँद में तेरा अक्स दिखे,
जैसे रूह ने तुझसे रुहानी सिपाही पाई हैं।
भीग के बैठा हूँ ख्वाबों के पास,
तेरी यादें हर कोने में समाई हैं।
तेरे बिना हर मौसम अधूरा लगे,
इन भीगी रातों ने फिर तेरी कमी जताई हैं।-
रिमझिम सावन भी तुझको पुकारे,तेरे बिना हर मौसम अधूरा लगे।
बूंदों में तेरी आहट सी सुनूं मैं,हर फिज़ा में तेरा चेहरा नज़र आए।-
मोह की बात थी, पर गहराई प्रेम की थी,
हर साँस में बसी तस्वीर वही थी।
नज़रों से शुरू, दिल में उतर गई,
मुलाक़ात तो बस शुरुआत सी थी।
मोह ने लुभाया रूप-रस से मुझे,
प्रेम ने रूह को छुआ, बात वही थी।
छांव में उसके मैं हरपल जिया,
धूप में भी उसकी परछाईं रही थी।
मोह आता है जाता है लहरों सा,
प्रेम सागर है, जिसकी थाह नहीं थी।-
तुम पास रहो तो वक्त ठहर जाता है,
बस कुछ पल और, ये पल वहीं ठहर दो।
तेरा होना ही मेरी दुनिया की राहत है,
आओ थोड़ी देर, बस मेरे साथ बैठो।-
तेरी नज़रों की वो शरारती सी चुप्पी,
मेरे दिल में लगती है मीठी सी बिजली।
हर रोज़ तेरा यूँ छुप-छुप के आना,
दरवाज़े के पीछे खड़े हो तेरा मुस्कुराना।-
नज़रों से न सही, पर रूह से तो सुन,
मैं तुझसे इश्क़ हर लम्हा बयां कर रहा हूं।
तेरा नाम लिया नहीं कि मुस्कान खिल गई,
देख ले, मैं तुझमें ही तो जी रहा हूं।-
तू जो आई ज़िंदगी में
तो समझ आया,सच में…
तुमसे मिलकर जाना
प्यार क्या होता है।-
आकर तेरे पास दिल की बात कह रहा हूं,तेरे बिना अधूरा हूं, ये हाल कह रहा हूं।
हर धड़कन में बसी है सिर्फ़ तेरी याद,तेरी मोहब्बत को हर साँस में बह रहा हूं।-