animesh mandal   (अनिमेष मण्डल)
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Joined 20 December 2018


Joined 20 December 2018
6 MAY AT 20:52

पेशावर कातिल हो तुम सिपाही नहीं,
पूरी शिद्दत से स्वागत करेंगे हम तेरा,
युद्ध के मैदान में हम तेरे भाई नहीं।*
पढ़ा देंगे तुझको धर्म का पाठ ,
धर्म के नाम पर मारने वाले तुम गद्दार हो इंसान नहीं।
पूछ लेना अपने उस खुदा से जिसके विस्तार में तुम निकले थे
वो खुद भगवान का पैगाम देने वाला था कोई भगवान नहीं।
✍️अनिमेष मंडल

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21 MAR AT 20:36

तुम्हे पाने का मोह त्याग चुके है हम!
और रही प्रेम की बात तो,
वो हमेशा रहेगा...
मेरे हृदय में जीवित रहेगा...
आखिरी सांस तक रहेगा...
प्राण पखेरू के उपरांत ,
जलते हुए राख में रहेगा ...
हमारे अस्तित्व का एक एक कण कण ही
धूमिल क्यों न हो जाए,
हमारे प्रेम के रहने के लिए मेरा या
मेरे अस्तित्व की कोई जरूरत नहीं
हमने खुद की आकांक्षाएं खत्म की है
मेरे प्रेम ने कोई चाहत नहीं।
वो जीवन पर्यंत रहेगा...
वो अमर रहेगा ....

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10 MAR AT 22:31

कलम उठी , इश्क लिखा।
कुछ सोचा तो तेरा नाम लिखा।
कुछ याद किया तो तेरा जिक्र लिखा ।
कुछ महसूस किया तो तेरा साथ लिखा ।
विरह की स्मृति हुई तो तेरा प्रेम लिखा।
जब स्थान का स्मरण हुआ तो हृदय लिखा।
तुझको कुछ देने को सोचा तो दुआ लिखी।
कुछ चाहत हुई तो तेरी खुशियां लिखी।
जब बंद किए नेत्र तो तेरे नैनो का नक्श लिखा।
जब सोचा कुछ नाम दे दूं इस एहसास को तो ,
सब कुछ मिटा कर "सिर्फ तुम "... लिखा ।

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4 MAR AT 22:07

एक बार तंग गलियों से गुजरिए बनारस के ,
एक बार चंद वक्त ठहर जाइए बनारस में ।
घूमने गए होंगे कई शहर,
अब बार मिलने तो आइए महादेव से बनारस में ।
एक बार रंग में रंगिए बनारस के,
एक बार भंग में पड़िए बनारस के ।
चलिए गलियों से उतरिए घाट के सीढियों में,
एक बार आंख बंद करिए तो सही ,
एक बार नंदी से मिली तो सही,
पान का बीड़ा मुंह में घोलिए तो सही,
किसी बनारसी से गले मिलिए तो सही ,
खाट बनारसियों का गमछा कंधे पर रखिए तो सही ,
लॉन्गलता, जलेबी की मिठास को महसूस करिए तो सही,
नौका बिहार से कभी बनारस को देखिए तो सही ।
यकीन मानिए गंगा मां है ,
तो घाट दुल्हन जितनी खूबसूरत लगेगी ,
जिंदगी के भागम भाग में,
बनारस जैसी सुकून कभी भी कहीं नहीं मिलेगी।

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12 NOV 2024 AT 23:42

कोई किस हद तक बदल सकता है,
कोई किस हद तक सब कुछ भूल सकता है ।
कोई बिना कुछ किए भी,
किसी को किस हद तक तड़पा सकता है।
कोई किस हद तक खुदगर्ज बन सकता ,कोई किस हद तक किसी का दर्द बन सकता है ।
ये मैने इश्क करके जाना ...

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12 NOV 2024 AT 23:27

जिस बात पर हम अलग हुए वो बात समझ आई किसको।
जिस राह छोड़ गए थे , वो बंजारापन
वो सुनापन वो दर्द बताए किसको।
इश्क का अश्क बहता है
सारी रात नींद आती है यहां किसको ?
सिसकियां लेते हुए बिना आंसू कभी रोया है,
दिल में बहुत दर्द है , कभी होठ बेजुबान हुआ है।
किस गली चले गए तुम, यू हमको तन्हा छोड़कर।
अब लोग पूछते है कहां गई तुम्हारी जिंदगी,
हम अब क्या बताए किसको ?
एक अर्से से रो कर गुजर रही रात,
काम में दिन गुजर है जाता ।
नींद कहां गुम हो गई ,
पता नहीं भेजूं किसको,
जो ढूंढ लाए उसको ।
जो राते बच गई है तेरे बगैर
वो अब समझ आयेगा किसको
दिन तो यूंही काम में गुजर जाती है,
रात बड़ा दर्द देती है
कोई है जो समझाए उसको...
यूं हर रात न तड़पाए मुझको।
रात समझ आईं किसको ...

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10 NOV 2024 AT 17:19

आप आइए तो सही मोहतरमा
आप के इंतेज़ार में हमारी आँखें रास्ता तक रहा है...
हर गुजरते राहगीर में आपका दस्तक ढूंढ रहा है...
हर गुजरती चश्मिश लड़की के चेहरे में आपके चेहरे की झलक देख रहा है ।
कभी फुर्सत मिले तो हमारे शहर पर एक दस्तक दें देना,
ये *"बंजारा"* कब से आपकी नैनो में खुद को देखने को तरस रहा है ...
*बंजारा बनारसी उर्फ अनिमेष बंजारा*

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2 NOV 2024 AT 1:07

The World's Most Expensive Investment is Emotion. Which never comes back if you invest in the wrong person then your life will be destroyed.
Your Money can be earned much and more but if you lose your emotions then you will be paid full of your Life . I felt that today I have everything that I want with her but everything is nothing without her. I always prayed from the lord and said that you can take everything that you have given to me but give me the relief and earlier life ... Again give me emotion I will be invested in you. Please forgive me for all past moments otherwise I will not live...
"Animesh Mandal"

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25 OCT 2024 AT 23:33

आधी रात गुजरने को है,
फिर एक दिन ढलने को है।
हर रात की तरह इस रात भी ,
तेरी फोटो मेरे सीने से जुड़े हुए है।
तू सामने नहीं मगर बंद आंखों में मेरे पास खड़ी तो है,
सोचता हूं चूम लूं तेरा माथा ,
फिर आंसू निकल है जाता।
कभी तेरे साथ सपने देखे थे पूरी जिंदगी के ,
अब तो उम्र भी ढलने को है।
तू न सही तेरी याद थामे बैठा हूं...
तेरे बगैर तुझसे बेइन्तहा प्यार करता हूं,
तू भले अब किसी गैर की हो ,
हम आज भी सिर्फ तुम पर ही मरते है।
एक एक रात करके दो साल गुजार दी तेरे बगैर,
यूंही गुजरती रात के साथ जिंदगी भी गुजर जाएगी,
ढल जायेगी उम्र की वो घड़ी भी
गुजर जाएगी सदियां भी ,
तू न सही हमको तेरे होने का एहसास हर पल होता है,
तेरे यादें जब भी आती है होठों पर एक मुस्कान होता है
हर रात मेरे आंखों में सिर्फ तू होता है,
सोता है बाजू मेरे एक अफसोस
जो तेरी जगह लिए हुए है ।
तेरे बगैर की चांद भी अब रास नहीं आता
खिड़की पर खड़ा उसे अभी निहार रहा हूं,
हर रात की तरह ही ये रात भी गुजार रहा हूं ।
आधी रात गुजर चुकी है,
आधी रात गुजरने को है ...
✍️ अनिमेष मंडल


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25 OCT 2024 AT 23:23

आधी रात गुजरने को है,
फिर एक दिन ढलने को है।
हर रात की तरह इस रात भी ,
तेरी फोटो मेरे सीने से जुड़े हुए है।
तू सामने नहीं मगर बंद आंखों में मेरे पास खड़ी तो है,
सोचता हूं चूम लूं तेरा माथा ,
फिर आंसू निकल है जाता।
कभी तेरे साथ सपने देखे से सारी जिंदगी के ,
अब तो उम्र भी ढलने को है।
तू न सही तेरी याद थामे बैठा हूं,
तेरे बगैर तुझसे बेइन्तहा प्यार करते तो है,
तू भले अब किसी गैर की हो ,
हम आज भी तुम पर ही मरते तो है।
एक एक रात करके दो साल गुजार दी तेरे बगैर,
यूंही गुजरती रात के साथ जिंदगी भी गुजर जाएगी,
ढल जायेगी उम्र की वो घड़ी भी
गुजर जाएगी सदियां भी ,
तू न सही हमको तेरे होने का एहसास हर पल होता है,
तेरे यादें जब भी आती है होठों पर एक मुस्कान होता है
हर रात मेरे आंखों में सिर्फ तू होता है,
सोता है बाजू मेरे एक अफसोस
जो तेरी जगह लिए हुए है ।
तेरे बगैर की चांद भी अब रास नहीं आता
खिड़की पर खड़ा उसे अभी निहार रहा हूं,
हर रात की तरह ही ये रात भी गुजार रहा हूं ।
आधी रात गुजर चुकी है,
आधी रात गुजरने को है ।
✍️ अनिमेष मंडल


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