जवानी में बच्चों की
गलतियों पर हँसने वाले लोग,
बुढ़ापे मे उनके गुनाहों पर
सिसक-सिसक कर रोते हैं!-
और इस कदर बदल गए हम!
मोहब्बत खडी़ रही साइड में...
और सामने से निकल ... read more
पढ़े-लिखें परिंदे कैद हैं,
माचिस से मकान में!
नौ से छह की ड्यूटी है,
और मानसिक थकान में!!-
बड़ा गुरूर है तुम्हे अपनी
दौलत, शोहरत और रुतबे का!
लगता है बहुत दिनों से
अस्पताल नहीं गए हो तुम??-
लड़कियाँ बदल जाती है मौसम की तरह!
हम लड़के बर्बाद होते है फसल की तरह!!-
मुझसे शाहों के क़सीदे नहीं लिखे जाते…!
मैं मज़दूर हूँ, मैं मिट्टी पे ग़ज़ल लिखता हूँ…!-
अब कोई और खुदा बुलाओ,
किसी और भगवान से मिलाओ!
ये कदम-कदम पर इम्तिहान लेने,
वालों को मैं ईश्वर नहीं मानता!!-
कौन कहता है कि मर्द रोते नहीं?
कोई बरसों पुराना ख्वाब सच होने दो!
कोई दिल से की गई मेहनत रंग लाने दो!
कोई अधूरी सी तमन्ना पूरी होने दो!
मर्द भी रो पड़ते हैं, हंसने से पहले!-
नींद, नशा और नारी की लत
ज़रूरत से ज़्यादा मत लगाना!
ये आपको हकीकत मे कम,
भ्रम मे ज़्यादा रखते हैं!-
वो 'कहानियाँ' कभी नहीं पढ़ी जातीं,
जिनमे 'सफलता' का शीर्षक नहीं होता!-