Anil Yadav   (Anil Yadav (Basti))
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Joined 17 March 2019


Joined 17 March 2019
2 JUN AT 15:12

2 June 2017
Day-: Friday

ख़्वाब आँखों से गईं नींद रातों से गईं
वो गईं तो ऐसा लगा ज़िन्दगी हाथों से गई🕊️

आपको आपके शुभदिन (सालगिरह) की ढेरों सारी बधाई💖

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7 APR AT 11:17

आख़री साँस तक नीलाम की जिनकी मोहब्बत में,
आज मेरी क़ब्र पर सलीक़ा-ए-इश्क़ की नसीहत दे गए

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5 APR AT 14:59

मैं किस्से कहानियों में तुम्हें छिपाता रहूँगा, तुम खुद को उनमें ढूंढती रहना.

मैं तो कब का खो चुका हूँ तुझमे पूरी तरह, तुम कभी कभी खुद में मुझको ढूंढती रहना...

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5 APR AT 11:56

इस टुटे हुए दिल को फिर से तोड
गया कोई,
जख्म जो भरने लगे थे अब उन्हें फिर से कुरेद गया कोई, चले थे उस दर्द की दवा करने, कमबख्त हकीम का पता भी गलत दे गया कोई।।

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12 FEB AT 0:40

चन्दर ने कार्ड फैलाते हुए कहा, "शादी तुम्हारी होगी और जान मेरी निकली जा रही है मेहनत से।"

'हाँ चन्दर, इतना उत्साह तो और किसी को नहीं है मेरी शादी का ! सुधा ने कहा और बहुत दुलार से बोली, 'लाओ, पैर दबा दूँ तुम्हारे?"

"अरे पागल हो गयी?" चन्दर ने अपने पैर उठाकर ऊपर रख लिये।

'हाँ, चन्दर!" गहरी साँस लेते हुए सुधा बोली, 'अब मेरा अधिकार भी क्या है तुम्हारे पैर छूने का। क्षमा करना, मैं भूल गयी थी कि मैं पुरानी सुधा नहीं हूँ।" और टप से दो आँसू गिर पड़े। सुधा ने पंखे की ओट कर आँखें पोंछ लीं।😢

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12 FEB AT 0:34

सुधा, एक बात कहै, मानोगी ?

'हॉ-हाँ. कह तो दिया। अब कौन-सी तुम्हारी ऐसी बात है जो तुम्हारी सुधा नहीं मान सकती। आँखों में, वाणी में, अंग-अंग से सुधा के आत्मसमर्पण छलक रहा था। फिर अपनी बात पर कायम रहना, सुधा। देखो। उसने सुधा की उँगलियों अपनी पलकों से लगाते हुए कहा, सुधी मेरी। तुम उस लड़के से ब्याह कर लो।
क्या ? सुधा चोट खायी नागिन की तरह तड़प उठी 'इस लड़के से यही शकल है इसकी हमसे ब्याह करने की। चन्दर, हम ऐसा मजाक नापसन्द करते हैं. समझे कि नहीं। इसलिए बड़े प्यार से बुला लाये, बड़ा दुलार कर रहे थे।
तुम अभी वायदा कर चुकी हो। चन्दर ने बहुल आजिजी से कहा।
'वायदा कैसा? तुम कब अपने वायदे निभाते हो और फिर यह धोखा देकर वायदा कराना क्या ? हिम्मत थी तो साफ-साफ कहते हमसे। हमारे मन में आता सो कहते। हमें इस तरह से बाँध कर क्यों बलिदान चढ़ा रहे हो।
और सुधा मारे गुस्से के रोने लगी।

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26 JAN 2022 AT 0:04

एक साल अपने हक मांगने पर
किसान पीटे जाते थे,
गज़ब बिडंबना भारत की
आज नौजवान पीटे जातेे हैं,
अगर यही नौजवान हक के लिये सड़को पर उतर जाते हैं तो
यही 12वीं पास पुलिस लॉजों में घुसकर पीटने जाते हैं
इसी भ्रष्ट सरकार में कुछ प्रतियोगी छात्र फाँसी पर लटक जाते हैं
गज़ब बिडंबना भारत की
आज नौजवान लाठियां खाते हैं
कुछ भक्त अभी भी इस भ्रष्ट सरकार की
झूठी राग अलापे जाते हैं
उन्हीं के पिता किसान हैं जो
ट्रैक्टर से रौंद दिये जाते हैं
यही पुलिस कुछ अपराधियों के कुत्तों
को टहलाते हैं
और हक माँगने वाले छात्रों पर
लाठियां बरसातें है...😢

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22 JAN 2022 AT 10:11

तु पहले मिल जाती तो ये तेरे
सुरमई आँखों का दीदार कहाँ होता,
तेरे इस कुमकुम वाली बिंदी का
इजहार कहाँ होता,
तेरे आंखों के काजल का
करार कहाँ होता,
हाँ छोटी-छोटी बातों पर
तक़रार कहाँ होता,
तेरे हाथों के चॉकलेट खाने का
तलबगार कहा होता,
हाँ हम लोगों के दोस्ती
का सालों तक विस्तार कहाँ होता,
तेरा यू हीं हमें समझाने का
इक़रार कहाँ होता,
तुमसें लड़ने का मैं
हक़दार कहाँ होता,
होता तो सब कुछ
लेकिन ये दोस्ती वाला प्यार कहाँ होता

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21 JAN 2022 AT 18:11

था बचपन इतना प्यारा
की हर रोज लड़ाई होती थी,
दूसरों के आँगन से फूल-पेड़ उखरा करते थे
फ़िर उसकी लगाई होती थी,
मां के हाथों से रोज पिटाई पड़ती थी
कभी-कभी हम भी उस तराइन के
जैसे युद्ध की चढ़ाई करते थे,
मां को खबर पड़ते ही
मां काली का रूप धारण करती थी,
दोस्त जब मजा लेते थे
तो उनकी तुड़ाई करते थे,
फ़िर दोस्त की दोस्ती तोड़ने की
धमकी सुनाई पड़ती है ,
दोस्त के न बोलने पर
उससे माफ़ी मांगनी पड़ती थी,
कभी-कभी हम झूठ-मूठ के
ग़ुस्सा किया करतें थे,
फ़िर दादी माँ हमकों दूध चावल खिलाकर
हमकों मनाया करती थी,
था बचपन इतना प्यारा की
रोज लड़ाई होती थी,
पीले-पीले सरसों के
खेतों में मटर खोजाई होती थी,
खेतों से आने के बाद
बाबू जी के ग़ुस्से को देखते ही
उठक बैठाई होती थी,
मां से खाना न मिलने की
धमकी सुनाई पड़ती थी,
था बचपन इतना प्यारा
की हर रोज लड़ाई होती थी,
घर के आंगन में फूंक मार कर दीपक भुझाई होती थी फिर आँगन में जुगनू की खोजाई होती थी

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31 OCT 2019 AT 10:11

खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होना
इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना ।

देखना, चाहना, फिर माँगना, या खो देना
ये सारे खेल हैं, इनमें उदास मत होना ।

जो भी तुम चाहो, फ़क़त चाहने से मिल जाए
ख़ास तो होना, पर इतने भी ख़ास मत होना ।

किसी से मिल के नमक आदतों में घुल जाए
वस्ल को दौड़ती दरिया की प्यास मत होना ।

मेरा वजूद फिर एक बार बिखर जाएगा
ज़रा सुकून से हूँ, आस-पास मत होना ।

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