ज़िद है कि मंजिलों को कदमों में झुकाऊंँगा, वादा है कभी किसी बेबस को ना सताऊंँगा ! उम्मीदों के सहारे बैठना पसंद नहीं हैं मुझको, अपनी मेहनत से ही अपनी तक़दीर बनाऊंँगा !!
सुबह उठते ही भागते हैं, देर रात के थके हुए लोग, ऐसे ही जिन्दगी काटते हैं, पगार पर बिके हुए लोग!! खूब उडा़ते हैं मौज दलाली और मक्कारी करने वाले, मुश्किलों से जूझते हैं वफा़दारी पर टिके हुए लोग!!