Anil Rajput (Bisht)   (Jajbaat)
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Jajbaat...
Joined 20 July 2019


Jajbaat...
Joined 20 July 2019

ख़यालो में अब उसकी ही फ़िक्र,
और बातों में उसका ही जिक्र रहता है,,
और लोग कहते हैं कि, है एक बेवकूफ,
जो उस बेवफा से मोहब्बत भी वफा के साथ करता है,,....

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23 MAR AT 11:28

तुम मिलने की दुआ नही,
साजिश करो न,....



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16 FEB AT 17:50

काश ऐसा हो, वो मिलने घर आए ,
बैठी हो साथ मेरे, और वक़्त का ख़्याल भूल जाए ,,
और जाने को हो जब तैयार वो ,
बे-मौसम हल्की सी बरसात हो जाए ,,
थोड़ी सी हो परेशान वो,
और ऊपर से छाता खो जाए ,,
देखे वो खिड़की से झाँककर जब ,
फिर बरसात और तेज़ हो जाए,,
फिर बेफिक्री में वो मुस्कुराते हुए कहे,
चलो यार, थोड़ी बातें और एक कप चाय हो जाए ,,.

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18 JAN AT 19:17

वो आती है और यू ही नज़र अंदाज़ कर देती है,
कम्बख्त उसका ये अंदाज़े बयां भी, दिल में कत्लेआम कर देती है,,
मैं करता हूं महफिल में बस बाते उसकी,
और एक वो है जो मेरी बातों को यू ही मुस्कुराकर बातों में ही टाल देती है,,.....

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21 DEC 2024 AT 20:14

हमारे रिश्ते मे हम दोनों का कुछ यूं जिक्र है,

मै शांत समंदर सा गहरा,
वो किनारो से छेडख़ानी करती लहर हैं,,....

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7 DEC 2024 AT 16:37

मैं लिखता हूँ, मिटाता हूँ,
बस यही एक काम बार-बार दोहराता हूँ,,..
पागल, दीवाना, मजनू, रांझा ना जाने किस किस नाम से पुकारते हैं
ये लोग मुझे,
जी मैं शायर हूं बस शायरी लिखता हूँ,

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15 NOV 2024 AT 20:01

शायर अपने अंदाज़ में उन्हें क्या बयां कर रहा है,
कि सुनकर खुद की तारीफ वो खुद से जलने लगी है,,
और फिर एक बार जाकर निहारा उसने आईने में खुद को,
कि क्या सच मुच, वो इतनी कमाल लग रही है ?,,....

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19 OCT 2024 AT 19:58

पायल कह रही पैरो में,
शोर सुन रही है बालियाँ कानों में,
कि कितना इतरा रहा है ना ये मांगटीका,
जो सजा बैठा है उनके माथे पे ,
तारीफे तो महफिल में लगी है उस नथ की,
जो नाक पे लटकी और जुल्फों में अटकी है,
और शरमाई मुस्कुरा रही है लाली उसके होठों पे,
जब वो हाथ लहंगा हल्का सा उठाये करीब आ रही है,,....

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22 SEP 2024 AT 19:31

कि हर लम्हा अब बस तेरे साथ रहने को करता है,
होती हो जब बैठी मेरे करीब तुम,
खामोश लबो में सिर्फ तुमसे गुफ्तगू (बात) करने को दिल करता है ,,
और जब खोई रहती हो ना तुम दूर कहीं अपने बिखरे जुल्फों को सवारने में,
कोई है जो तुम्हें बेइंतहा याद करता है,,...

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11 AUG 2024 AT 20:53

कि महफ़िल सजी उसके मोहल्ले में,
और ये गुनाह कर बैठे,,
जब सरेआम इजहारे मोहब्बत कर बैठे ,
और कर तो सकते थे इंकार भी इस बात से,
पर शायर गजलों में उनका नाम ले बैठे,,.....

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