रहूँ जो दर्द में ,कोई खबर तक नही लेता
लिखूं जो दर्द तो,सभी वाह वाह करते हैं।।।-
ये ज़िंदगी क़भी क़भी अजनबी सी लगती है,
जीना चाहूँ, पर जी न सकू,
मरना चाहूं पर मर न सकू,
है कोई अपनी नही मैं कन्हा जाऊं,
जख्मी है ये मन मेरा किसको दिखलाऊँ,
मैं ऐसे हालात में तड़पता रहूंगा।।।
ये ज़िंदगी क़भी क़भी अजनबी सी लगती है,-
नानक के इस बतन में,नफरत की बोलियां क्यों,
गांधी के इस वतन में हिंसा की गोलियाँ क्यों।।
बुद्ध के इस सरजमीं पर ,
ये खून की होलियां क्यों,
हंसों के इस सरजमीं पर ,
गिद्धों की टोलियां क्यो,
उठी धर्म की दीवारें ये देश बंट रहा था,
ओ रहीम के थे बन्दे यंहा राम रो रहा था।
तब हो गया बबंडर ,ऐसी चली थी आंधी,
अब बात हो रही है जिन्ना बड़ा या गांधी।।।-
जो फ़कीरी मिज़ाज रखते हैं,
वह ठोकरों में ताज रखते हैं!
जिनको कल की जरा फ़िक्र नही,
वह मुठ्ठी में आज रखते हैं!!-
ये भी कुछ कम नही,तेरा दर छूटने के बाद,
हम अपने पास आये,दिल टूटने के बाद!!!-
ग़ुरूर है खुद पे तो सुन ले,तू एक छोटा सा शहर है,
पूरी कायनात न बन!
मुझे पता है मैं बर्बाद हूँ ,मैं डूब रहा हूँ,
तू बताने वाला मेरा बाप न बन!!!!-
झाडू जब तक एक सूत्र में बंधी होती है ,तभी तक कचड़ा साफ करती है,
लेकिन वही झाडू जब बिखर जाती है ,तो खुद कचड़ा हो जाती है।।
इसीलिए हमेशा संगठन में बंधे रहें,बिखर कर कचड़ा न बने।।।-
अच्छा किया कि तूने दिल 💔 तोड़ दिया,
वर्ना जीने की चाहत में मर हम न पाते।।
-