Anil Pareek   (Anil Pareek)
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दो अलग अलग क़िरदार हूँ मैं,

यहाँ प्यादा भी नहीं, वहां सरकार हूँ मैं...
Joined 24 May 2018


दो अलग अलग क़िरदार हूँ मैं,

यहाँ प्यादा भी नहीं, वहां सरकार हूँ मैं...
Joined 24 May 2018
16 JUL 2022 AT 23:52

जब मैं ढूंढ रहा था प्रेम के मायने,
तब तुम थी,
जब मैं भटक रहा था राह ए ज़िंदगी में,
मेरा हाथ थाम के खड़ी,
तुम थी...
मेरे हर सफ़र के साथ,
हमेशा, तुम थी,
तुम हो,
और तुम ही रहोगी।

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30 MAR 2022 AT 14:12

मेरी कविताओं में, आज भी बंद है,

वो अनकहे, अनगिनत, अल्फ़ाज़,

काश कि मैं, इज़हार कर लेता...

काश कि थोड़ा, प्यार कर लेता...— % &

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31 JAN 2022 AT 15:37

मुझे मालूम है शराब की हक़ीक़त,

फिर भी पीने को मजबूर हूं,

अब वही लोग कहते हैं मुहब्बत में हूं मैं,

जिनकी नजर में, मैं बेवफाई के लिए मशहूर हूं....— % &

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28 DEC 2021 AT 17:17

इस मौसम में मेरी सांसें, कहां बाज आती है....

मैं मोहब्बत पुकारता हूं,

और तुम्हारी आवाज़ आती है...

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26 DEC 2021 AT 13:38

कुछ घटा, कुछ मेह, कुछ मलंग, कुछ मोर,

बस यही दस्तूर बचा है ज़िंदगी का,

कभी इस छोर, कभी उस छोर...

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15 NOV 2021 AT 13:38

औरों से अलग है मेरी गणित,

मेरी गणित में शून्य से पहले तुम आती हो...

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13 NOV 2021 AT 19:53

उस बेवफ़ा के इश्क की, हद ढूंढ़ रहा हूं,

मैं पागल हूं,

शक्कर में शहद ढूंढ़ रहा हूं...

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11 NOV 2021 AT 20:14

कुछ यूं मेरी ख्वाहिशें टूट कर रो दी,

मैंने मसाफ़त के जुनून में मंज़िल खो दी...

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3 NOV 2021 AT 16:44

माना कि शाम, अंधेरे का पैगाम लाएगी,

आज अमावस की रात ही सही,

मगर दीये से रोशनी तो आएगी...

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29 OCT 2021 AT 18:01

तुम्हारा रुसवाई का पैग़ाम,

आखिर में, अमल तो हुआ,

देर से ही सही,

तुम्हारा ख़्वाब, मुकम्मल तो हुआ...

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