Anil Malviya   (✍️Anil Malviya मन्नत*)
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Joined 30 April 2020


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Joined 30 April 2020
5 DEC 2022 AT 12:55

हीरे, जवाहरात के क्या ही कहने!

उसकी आंखों में काजल मोती हो जाता है।
#प्रेम

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8 NOV 2022 AT 6:39

खुद के हुए हम।

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8 NOV 2022 AT 6:30

Your Quote is more than our family...✨❤️

Friends, family members who wants to join with me in future can be connected me on instagram : @anil_mannat_07
@mansoo_official

Sorry for any small mistake from my side 🙋‍♂️
Have a fantastic, amazing, successful and splendid journey ahead 😊

Warm wishes for all of you guys 💞
Bye bye 👋
Take care

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5 APR 2022 AT 21:50

छोटी बड़ी
ऊपरी नीची मध्यम
पतली मोटी
हर डाली पर आती है पत्तियां
हर डाली पर आते हैं पुष्प
हर डाली पर गुनगुनाते हैं पक्षी।

हर डाली में होता है जीवन
हर डाली में होती है सुंदरता
ईश्वर कभी शाखाओं, डालियों और
पेड़ों से नफ़रत नहीं करते,
न करते हैं धरा के स्वरूपों से पक्षपात
प्रकृति में पनपता रहता है पल-पल प्रेम।

हमें भी छोटे बड़े वयस्क बुजुर्ग
सभी से प्रेम करना चाहिए,
और सींचना चाहिए
पौधों को मानवीय मूल्यों की गरिमा से;
सब पुष्प बने
सब ओर बहार हो,
ये दुनिया गुलज़ार हो।

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2 APR 2022 AT 7:44

शनिवार ही लेकर आता है इतवार की उम्मीद,
आनंद का पूरा श्रेय रविवार को दिया जाता है।

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5 MAR 2022 AT 8:50

तोड़ने के लिए तोड़े गए फूल
और दिल जोड़ने के लिए तोड़े गए फूल का अंतर
बखूबी व्यक्त करता है; एकांत अंधेरे में अपनी प्रेमिका को सोचता प्रेमी।
और इस अंतर को पाटता है उसके अंदर रह रहकर उभरता प्रेम।
शांति प्रेम का व्यापक रूप है और शोर संक्षिप्त।

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5 MAR 2022 AT 0:39

जब लगाया मेरी मां ने मेरी आंखों में सुरमा,
दुनिया की हर नजर को रोजगार मिल गया।

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26 FEB 2022 AT 0:16

"युद्ध"



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7 FEB 2022 AT 19:53

यूं प्रेम को स्मृति का जवाब क्या दूं!
गुलाब जो तोडूं' तो गुलाब क्या दूं!
कितने तो लम्हें यूं ही गुज़र गए,
पल में सौ पलों का हिसाब क्या दूं!

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5 FEB 2022 AT 11:39

पेड़ पुराने पल्लव त्याग देते हैं,
फिर नई कोंपले फूटती है,
नए नए पत्ते,
नए नए पौधे,
नई नई कलियां,
नए नए कुसुम,
वसंत लाता है नए बेर,
आम में नन्हीं बौर से बनती मिठास,
इमली में नन्हीं पत्तियों का मीठा प्यारा खट्टापन।
खेतों में सरसों का सुनहरा पीतांबर,
चांदी सी गेहूं की बालियां।

कितना कुछ तो सिखाती है प्रकृति हमें,
समय के साथ बदलते रहो,
जो हुआ,
जैसा हुआ,
जितना हुआ,
जहां हुआ; ठीक नहीं हुआ तो जाने दो।

फिर से नवल शुरुआत करो,
अपने परों की कोंपलों को फैलाओं,
उम्मीदों के नए नए पल्लवों से,
जीवन सफलता के पुष्पों से सुशोभित करो।

शुरुआत तो करनी होनी,
आओ...देखो...
चलो वसंत आया है,
हम भी वसंत लाएं।
अपने अपने जीवन में।

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