Anil Kumar   (मेरी लेखनी✍️(अनिल कुमार))
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Joined 3 August 2022


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6 HOURS AGO

वो कुछ भी नहीं छिपाता है,
चाँद अंधेरे में भी मुस्कुराता है ।

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9 SEP AT 21:52

जीवन में अक्सर ऐसा होता है,
इस जहां में समन्दर भी रोता है ।
गैरों की बात यहाँ अब कौन करे,
अपना अज़ीज़ ही हमको डुबोता है ।।

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8 SEP AT 23:03

सूरज सभी को उजाला देता है
ख़ुदा सभी को निवाला देता है ।

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7 SEP AT 21:00

बदले में वो कुछ भी तो नहीं माँगता है,
जलकर भी दिनकर उजाला बाँटता है ।

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6 SEP AT 23:25

छोटी-सी बात थी और हमारे इश्क़ की शुरुआत थी,
हम मिले थे पहली बार जब हुई रिमझिम बरसात थी ।

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6 SEP AT 22:01

जिसके पास ऑप्शन नेक्स्ट होगा,
वो शख़्स यक़ीनन परफेक्ट होगा ।
जो सोचता कुछ है और करता कुछ और,
वो शख़्स यक़ीनन सस्पेक्ट होगा ।।

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5 SEP AT 21:38

क्या ख़ूब वक्त का तमाशा है,
कहीं निराशा कहीं आशा है ।
कहीं धूप है तो कहीं छाँव है,
यही जीवन की परिभाषा है ।।

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4 SEP AT 22:37

ख़्वाबों की उड़ान ज़रा ऊंची रखिए,
हिम्मत की मचान ज़रा ऊंची रखिए ।
झुक जाएगा एक दिन ये आसमां भी,
ललक की तान ज़रा ऊंची रखिए ।।

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3 SEP AT 21:51

मत सोचो आगे क्या होगा
मत बोलो आगे क्या होगा ।
होगा वही जो लिखा होगा,
मत सुनो आगे क्या होगा ।।

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2 SEP AT 21:26

ये निगाहों की शरारत है या है ये बगावत,
ये निगाहों की कयामत है या है ये हरारत ।
क्या नज़ाकत भरी है ख़ामोश निगाहों में,
ये निगाहों की शहादत है या है ये यथावत ।।

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