Kya likhun Ab kuch bacha nhi
Tera khayal hi hai jo jata nhi
Lauta diya sab ka sab kuch
Teri hi yaadein hai jo pichha chhodti nhi.
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Main tut kar bikhar bhi jaunga
Tu mukkammal hone ka wada to kar
Teri raha takte Ab thak gai aankhein meri
Tu wapas aane ka wada to kar
main beenai ho jaunga
Tu apna nazariya badalne ka irada to kar
Ujda hai jo aashiyan bana lunga main fir
Tu usme thahrne ki baat to kar
Bahut kuch bigda hai darmiya hamare
Sab thik ho sakta hai tu ek mulaquat to kar
Itne na bada fasle ki lautna mushkil ho
Ye nafraton ka silsila yahi khatam kar.-
Na jaane kaisi khata ho gai hai
Jise chahate the kabhi
Usi se be-intenha nafrat ho gai hai.-
सोने में भी डर लगता है अब
तेरे ख़्वाब जातें ही नहीं
किसको बताऊं अब किस हाल में हूं मैं
कोई अपना नज़र आता ही नहीं
बहुत दूर निकल आया मैं तेरी उन गलियों से
अब मेरे पांव एक जगह रुकते ही नहीं
तेरी याद में सिगरेट जलाता रहता हूं
फिर भी मौत आती ही नहीं |-
तेरी यादों से अब कोई नाता नहीं है
तेरी सूरत ही हर जगह दिखे ऐसा नही है
कभी नाज़ुक थे किसी फूल की तरह हम
अब कांटों में भी हमारे जैसी चुभन नही है
भबरे मड़रातें होंगे तेरे ऊपर बेशक
जिस फूल को एक बार नजरों से गिरा दिया हमने
उठा कर उसको हम चूमते नही है
रही हो खता चाहे किसी की भी
रिश्ते बचाने को हम भी अब झुकते नहीं है
खुद को कर लिया जुदा जमाने से
कोई मर भी जाए तो अब फर्क पड़ता नही है।-
प्यार बेमिसाल किया था
नफरत भी बेहिसाब करेंगे
तेरी सूरत दिखे जिस गली में
वो रास्ता पहले ही छोड़ देंगे।-
तेरे झूठ से भी प्यार किया था
तेरी हर बात पर मेरे यार एतबार किया था
जहां तक कोई न पहुंच सका मेरे दिल में
मेरे यार तुझे अपने दिल में वो मुकाम दिया था
तूने जिंदगी के उस मोड़ पर छोड़ा मुझे
जहां तेरे सिवा कोई और मेरा नही था ।-
मेरे जख्मों पर नमक और रकीब को सुकून दे रही है
मैं जिंदा क्यों हु मेरी मोहब्बत ये सवाल कर रही है|-
देकर दर्द मुझे हजार आज वो किसी और की बाहों में पड़ी है
करके रातें मेरी बर्बाद किसी और की रातें रंगीन करने चली है
अब वो मोहब्बत का किस्सा अपनें मुंह से मुझे न सुनाए
तो अच्छा रहेगा
उसके बदन पर लिपटी रकीब की उंगलियां
मुझे सब सच बताने पर उतरी है
और मैं कैसे अनदेखा कर दू उसके निशानों को
जो सच की गवाही देने पर अटकी है ।
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अब तेरी याद भी नहीं आती
शायद इतना दूर आ गया हु
तेरी गली तेरा शहर सब छोड़ आया हु
मेरी मंजिल तू थी मैं अपनी मंजिल ही अब छोड़ आया हु
गिले जितने भी थे तुझसे सब दफना आया हु
तू हमेशा खुश रहे अपनी दुआ में यही एक दुआ मांग कर आया हु ।
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