लहरों से खेलने की उम्र नहीं मेरी
फिर भी इंसानों सी है फितरत मेरी
खुद के आइने में पूछता हूं अक्सर
जिंदगी और बता क्या है हसरत तेरी
मुकम्मल ये किरदार करने से पहले
कहीं रही होगी पहुंचने की मंशा तेरी
ना दिल में बैचनी ना आंखों में प्यास
चुपचाप सिमट जाने की कसम तेरी
वो आंचल का सरमाया न मिला अभी
फूटकर जी भर रोने की हसरत मेरी
लिपट कर चांदनी से जब मैं नहाऊंगा
आसमां पा लूंगा बंद करके पलके मेरी
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मन शून्य में विलीन हो जाये
या प्रकृति में रह कर उसे देखते
निहारते ही उसमें समा ... read more
बदनाम होना भी था नसीब में नहीं
कुछ कहने की थी हिम्मत ही नहीं
जरूरी था इश्क करके जताना भी
ये इश्क करना इतना आसान नहीं-
पीने की चाह ही मिटे वाह क्या लबरेज जाम है
फिर होश ही गंवा बैठें तो क्या यही अंजाम है
मेरे होश ओ दुनियां की चर्चा ये सर ए आम है
जो मिला है वो जुबां बयां नहीं कर सकती है
दर दर फिरूं ढूंढता फिर उसे ही हर सूं क्यूं
ना वो बेताब नजरें हैं पुरसुकून दिल अब है
पैमाना हुआ है लबालब छलकता इधर उधर है
क्या यही इश्क है क्या यही इश्क का ईनाम है
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हाथ खाली हैं तो क्या उठा कर उसे देखता तो हूं
ये दिल तो लबालब भरा रखता इक मेरा है तो वही
सर झुकाना उसे भी मंजूर नहीं मेरा किसी के सामने
उसकी नेमतों का दरिया बहता तो है सबके लिए ही
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मुश्किल है अपने अतीत से बच पाना
अतीत से ही वर्तमान सुख-दुख पाता है
अतीत हमारे अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा है
अपने किये कर्मों से फल हम खुद पाते हैं
वक्त हमें वो आईना ज़रुर दिखाता है
इसीलिए अतीत में मन डूबता उतराता है
अपनी भूलों को वर्तमान में जो सुधारता है
वो अपना खुद भविष्य भी संवारता है
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लाख कोशिशें करता है यह मेरा मन उसे बुझाने की चिराग यादों का अंधेरे उजाले में कौन आकर जलाता है
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जानते हैं तू सबका है फिर भी
मेरे हृदय में तेरी ज्योत जल रही
उसके लिए मेरे एहसास में है कमी नहीं
मेरी मौन प्रार्थनाओं में है उसका नाम नहीं
जो सबका ख्याल रखे वो रखेगा मेरा भी
क्यूं मैं जानूंगा पूछूंगा उसका नाम पता भी
प्रेम एहसासों की सुंगध से हो जवां भी
बिना छुए ही बजते हैं मन के साज भी
उसे पाना मेरी मंजिल नहीं रही है कभी
सांसों की डोर से उड़ कर छूती है गगन भी
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हमने भी आंखों में कुछ ख़्वाब तैरते हुए देखें हैं
हमने उनमें से कुछ तडप कर मरते भी देखें हैं
उनमें से कुछ को जीवन बदलते भी देखें हैं
यूं तो हमें जीवन भी इक हवन कुंड लगता है
हमने उन्हें क़ोधाग्नि में जलते हुए भी देखा है
राख को आंसुओं में विसर्जित करके भी देखा है
और फिर एक दिन अपनी आंखों को बंद करके
हमने खुद को कुछ कठोर निर्णय लेते देखा है
अब इन आंखों से ना सिंचित पोषित होंगे ख्वाब
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संग संग साथ-साथ रात दिन सुख दुःख के गुजारे हैं
खुश हैं कि अभी भी हम एक दूजे के सहारे हैं-
कभी आईने में देखा करो हमारी तस्वीर भी
जैसे देखा और सोचा करते हम तुम्हें भी-