Aniket Singh   (Aniket singh)
8 Followers · 2 Following

read more
Joined 5 October 2019


read more
Joined 5 October 2019
22 NOV 2021 AT 22:19

मफ़लसय में बीती कुछ मेरी कुछ तुम्हारी भी होगी..
इंतज़ार कल भी था आपका,और आज भी होगी...
हो अगर इरादा तो मिल जरूर लेना...
रात आज मेरी है...कल तुम्हारी भी होगी।।

-


14 SEP 2021 AT 18:40

रफ्ता रफ्ता सा दिल में आने लगी है...
मेरे दिलों जहन में वो छाने लगी है।
नूर थी आंखों में उसके कुछ इस कदर,
न चाहते हुए भी दिल में समाने लगी है।।
कैसे करू इज़हार कुछ समझ नही आता,
दो पंक्ति बोलूं या दे दू उसे गुलाब।
या हिम्मत जुटा के एक बार बोल ही दूं...
कितना चाहता हूं उसे,ये राज आज खोल ही दूं।।
कुछ बातों ने मुझे खूब उलझाया...
कैसे करू इज़हार- ए-इश्क मुझे समझ न आया...
कहीं मना न कर दे मेरी दिल-ए-दस्ता को...
यहीं सोच के मेरा दिल है घबराया।।

-


12 SEP 2021 AT 23:37

हो सके तो लौट आना मेरे दिल ए मजार में
कब से खड़ा हूं मैं देख तेरे इंतज़ार में।
आने में देर हुई तुझे,और नींद मुझे लग जाए अगर...
तो सुला देना मुझे अपने इन बाजुओं के हार में।।
बहुत राह थी देखी मैंने सपने भी क्या खूब सजाए..
मगर तेरा ना लौट के आना,अंदर से मुझे खूब डराए।
बहुत मिन्नते की है मैंने,दर दर भटका हूं रात में...
हो सके तो लौट आना मेरे दिल ए मजार में।।

-


19 AUG 2021 AT 23:45

तबाह होकर भी हम मुस्कुराते रहें...
अपने गमों को दिल की ओट में छिपाते रहे।
कभी हुआ करता था परवाह उनको भी मेरा...
यहीं सोच कर खुद को उम्मीद दिलाते रहे।।
कौन जानता था आज ये मेरा हाल होगा...
वर्षो पुरानी जख्म फिर से लहूलुहान होगा।
न जाने कितने मरहम ज़ख्म पर लगाते रहे...
उनकी यादों में आंखो से आंसू बहाते रहे।।
परवाह नही है उन्हे अब शायद मेरा...
जान गया हूं अब हर फरेब तेरा।
अपने दर्द को दर्द से मिटाते रहे...
बर्बाद होकर भी हम मुस्कुराते रहे।।

-


14 AUG 2021 AT 19:44

आओ तुम्हे सुनाऊं मैं कुछ अपनी भी कहानियां...
कुछ हास्य कुछ व्यंग और कुछ दर्द भरी निशानियां।
लिखूं अगर मैं हंसने को पर दर्द भी काफ़ी है भरे पड़े...
कैसे वया करू चंद लम्हों में,थक जाऊंगा खड़े खड़े।
नहीं भूलती आज भी मुझसे बचपन की शैतानियां..
सबको प्यारी लगती थी मेरी वो नादानियां।
अब तो अरसा बीत चुका है,दर्द भरी जीवन अब है..
नही रहा कुछ पहले जैसा,लगता है मरण अब है।
नहीं फिक्र थी पैसों की,ना समय की कोई पाबंदी थी...
बीत चुका वो दौर पुराना,नई फिज़ा अब नया रंग है।।

-


8 AUG 2021 AT 23:00

वो चांद भी दूर था,वो भी दूर थी।
न चांद की रहमत मिली न उनका सहारा मिला।।

-


25 JUL 2021 AT 20:56

ठोकरों से भी सबक मिलता है ए दोस्त मेरे
ईट पत्थर तो इमारत में अच्छे लगते है।
हम तो ठहरे मिट्टी के खिलौने...
अक्सर शरारत के लिए अच्छे लगते है।

-


24 JUL 2021 AT 18:55

चलो चले फिर कभी बात होगी...
नया मोड़,नई सफर पे फिर मुलाकात होगी।
चल दिए है फिर से पुरानी यादें छोड़ कर...
तलाश में नई मंजिल की,सबसे मुंह मोड़ कर।
नई ताज़गी नई उम्मीदें नया है अब हौसला...
खुदा जानें क्या लिखा है किस्मत में वो फ़ैसला।
तोड़ दिए है दुनियां से मैंने सारे रिश्ते नाते...
इस कलयुग में कौन भला अब किसको पहचाने।
हर दिन के उजाले के साथ एक रात होगी...
चलो चले फिर किसी मोड़ पर मुलाकात होगी।।

-


22 JUL 2021 AT 19:07

कोशिश की भरपूर की
और मेहनत भी क्या खूब किया...
तुझे पाने के लिए ए खुदा
न जाने क्या क्या दर्द सहा...
मंदिरों में ढूंढा मस्ज़िद भी गए,
गिरजाघर और गुरुद्वारे भी गए...
ना मिल सका मैं तुमसे जहां जहां भी गए ।
कहते है तुम सबको देख रहे हो...
फिर हमसे आंखे क्यों भींच रहे हो...
अब तो सुन लो भगवन मेरी भी पुकार
कब से खड़ा है दास तेरे इस द्वार...।

-


22 JUL 2021 AT 16:37

कसूर न मेरा था न उसका...
बल्कि उस हालात का था जो हम मिल न पाए।।

-


Fetching Aniket Singh Quotes