नीला आसमां काला हुआ जैसे बारिश होने वाली है।
लहलहाती धान की फसल चारों तरफ हरियाली है।।
मोतियों की तरह आसमां से पानी बरसने लगे।
रुक रुक के चमक रही चपला बादल भी गरजने लगे।।
मानो इस सावन में गंगाधर गंगा संग पधारें हैं।
हवाएं व्यस्त हैं स्वागत में वृक्ष पलकें बिछाएं हैं।।
टर टर की आवाज़ों से मेड़क संगीत सुनाने लगे।
पीहू पीहू करते पपीहे मधुर गीत गाने लगे।।-
जीवन के हर पहलू में, खुशियाँ नहीं होती।
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हमने जगमगाते सुर्य पर भी, ग्रहण देखा है।... read more
बिसाते-हस्ती में जब अंधेरा मिटता नहीं।
तब दियाँ जलाया जाता है स्वत: जलता नहीं।।
लोग कहते हैं जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे।
पर बिछड़ने के बाद दोबारा कोई मिलता नहीं।-
रहकर जीना हैं/
हमें तो अभी ये ,समंदर भी पीना हैं//
कुछ लोग तो कहेंगे, उन्हें कहने दो/
पर हमें अपने अस्तित्व में ही रहना है//-
भटक रहा ये दिल!
कभी ख्यालों में, कभी जज्बातों में ,
कभी हकीकत में ,कभी ख्वाबों में,
कभी बातों में , तो कभी यादों में ,
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#बेमौसम बारिश
लोग आशिकों से पूछते हैं
ये बेमौसम बारिश कैसी है।
वो कहता है,
सर्द हवाओं संग बारिश की बूंदों में
महबूब की यादों की तरह,
ये मौसम बहुत सुहाना है।
पर जरा उस किसान से पूछो।
ये बेमौसम बारिश कैसी है।
जिसकी आधी फसल कटी है,
तो आधी फसल अभी खेतों में पड़ी है।।-
इन बुरे हालातों का
न जाने क्यों हल नहीं मिलता।
आज हो ,पिछले कल के सोच में
आने वाला कल नहीं मिलता।।
दुनिया परेशा है ए खुदा
तु अपनी खुदाई तो दिखा।
मैं मामूली इंसान हूं
सब कुछ बदल नहीं सकता।।
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आधी रातें बीत चुकी हैं।
पर नींद का कुछ पता नहीं।।
घोर सन्नाटा पसरा हुआ है।
जैसे कोई जिंदा , है ही नहीं।।
ये रातें और एक चमकता चांद।
जो मेरा पूरा साथ निभा रहा है।।
मैं रातों के साए को गौर से सुन रहा हूं।
जैसे कोई गजल सुना रहा है।।
हल्की सी हवा चली नीम के झोंके से।
तन बदन पूरा हर्षित हो गया।।
गांव के सारे पंछी चैन से सो रहे हैं।
पर मेरे मन का पंछी न जाने कहां खो गया ।।-
तन्हाई में।
ढूंढता हूं खुद को अपनी ही परछाई में।।
मन बैरागी सा हो गया है ।
ना जाने कहां ये खो गया है।।
शायद मैं मतलबी हो चुका हूं।
या अपना कुछ खो चुका हूं।।
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