बस लम्हों की बात हैं,
वो लम्हें अब पास नहीं,
लम्हें क्यूं लौटते नहीं,
क्यों शक्श वो साथ नही।
वो लम्हें जो हमने खुल के जिए थे,
यादों में उनकी अब सांसें रुक जाती हैं,
पहले तुम्हारी बातें काफी लंबी लगती थी,
अब तुम्हारे खयालों में ही रातें कट जाती हैं।
कभी सोचता हूं,
तुम्हारी जगह तुम ना कोई और होता,
तो क्या फिर मैं भी आज कुछ और ही होता।
नफ़रत भी होती है उस शक्श से,
प्यार है उनके दिए लम्हों से,
रोकता हूं खुद को बहुत,
पर इश्क है दिल को इन कांटो से।
काश हम लम्हों को फिर लौटा ला पाते,
काश कुछ गलतियों को फिर सुधार पाते,
काश life में एक undo का option होता,
काश अपनों को हम सदा करीब रख पाते।
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