तुम दिवाली की काजू कतली, मै ठहरा सोन पापड़ी प्रिय
तुम जगमग जगमग सी फुलझड़ी, मै ठहरा बुझी अगरबत्ती प्रिय
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हमारी अधुरी कहानी
🎂15,01,1996🎂
Bhagalpur 8789635992
तुम दिवाली की काजू कतली, मै ठहरा सोन पापड़ी प्रिय
तुम जगमग जगमग सी फुलझड़ी, मै ठहरा बुझी अगरबत्ती प्रिय
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पुरुष का कंधा और स्त्री की गोद
वो सुकून भरा सिरहाना है
जहां उन दोनो की ना जाने कितनी परेशानियां,बेचैनियां विश्राम लेती है
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किन लफ्जों से बयां करूं तेरी कमी ए-वर्दी
तेरे बिन हर दिन अधूरा सा लगता है !-
वक्त आएगा तो संभाल लेंगे जुल्फें तेरी
अभी उलझे हुए है
पानीपत और तराइन के युद्धों में-
जो लोग मेरी बातों से लाल-पीला हो जाते है
उनको भी होली की अग्रिम शुभकामनाएं-
फिर लिखेंगे नए सिरे से कहानी अपनी
ये बर्बादियों का दौर साहब खत्म हो जाने दो-
मैं मुसीबत में अकेला हूं तो क्या हुआ
हर कोई डूबती हुई कस्ती से उतर ही जाता है-
हर उलझे हुए लड़कों का मसला इश्क नहीं होता
कुछ हालातो से परेशान तो कुछ जिम्मेदारियों में उलझे होते है-