Aniket Gupt   (Aniket Gupt)
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Joined 21 November 2020


Joined 21 November 2020
24 APR 2023 AT 9:57

ऐसा नहीं है कि हम भूल गए तुम्हें,
बस याद नहीं आ सके, वो पैमाने ढूंढते थे...
छोड़ दिए कई पुराने दोस्त भी तेरे खातिर,
तेरे जिक्र के जो अक्सर बहानें ढूंढते थे...
❣️❣️❣️

#randomthoughts #mythoughts

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15 NOV 2022 AT 12:39

वक्त की बात है...
वक्त से मुलाकात है...
वक्त ही तो है हमारा...
वक्त ही जज्बात है...

वक्त से ही ज्ञान है...
वक्त शक्तिमान है...
वक्त का ही खेल सारा...
वक्त ही गीता और
वक्त ही कुरान है...

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21 NOV 2021 AT 23:03

बात की ही बात है...
बात की ही बिसात है...
बात से ही है जग सारा...
और बात की ही औकात है...

बात की ही जज्बात है...
बात ही दिन - रात है...
बात ना सुनी तुमने जो...
तो बिगड़ जानी हालात है...

कुछ बात ही अब याद है...
कुछ भूली - बिसरी बात है...
समझ गए तो जंग जीता...
वरना बात ही असल आघात है...

बात से ही प्रभु राम है...
बात से कृष्ण श्याम है...
बात से ही तो महाभारत रचा...
और बात ही गीता ज्ञान है...
और बात ही गीता ज्ञान है...

अनिकेत
21-11-2021

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21 NOV 2021 AT 22:27

बात की ही बात है...
बात की ही बिसात है...
बात से ही है जग सारा...
और बात की ही औकात है...

बात की ही जज्बात है...
बात ही दिन - रात है...
बात ना सुनी तुमने जो...
तो बिगड़ जानी हालात है...

कुछ बात ही अब याद है...
कुछ भूली - बिसरी बात है...
समझ गए तो जंग जीता...
वरना बात ही असल आघात है...

बात से ही प्रभु राम है...
बात से कृष्ण श्याम है...
बात से ही तो महाभारत रचा...
और बात ही गीता ज्ञान है...
और बात ही गीता ज्ञान है...

अनिकेत
21-11-2021

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27 AUG 2021 AT 21:41

ना रुकेगा, ना थमेगा...
वक्त की ये कलाकारी है...
कभी स्कूल तो कभी कॉलेज की...
बचपन से ही दौड़ जारी है...

बड़े हुए तो खुश हो गए...
कमा कर
थोड़े पैरों पे खड़े हो गए...
घर - जिम्मेदारी
परिवार बढ़ाया...
ये जिंदगी की नई खुमारी है...
हर लम्हें को समेट लेने को...
अभी भी दौड़ जारी है...

कोई अपना पास आ गया...
तो कोई अपना दूर हो गया..
समय समय का खेल रहा सब,
अब समय की बड़ी उधारी है...
एक पल को जी लूं फिर से...
जीने की दौड़ जारी है...

सभी दोस्तों के लिए खास... 😀😀😀❣️❣️❣️

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28 MAY 2021 AT 3:17

कैसी अनकही दर्द हो तुम...
की हर रोज तुम्हें मैं लिखता हूं...
जब भी थोड़ा रूठती हो...
की हर रोज मैं थोड़ा टूटता हूं...

जब भी चाहा छापना तुमको...
हर हर्फ बेमानी लगते है...
मेरे हर लफ्ज़ की सच्चाई हो तुम...
बस लोगों को ये कहानी लगते है...

हर पन्ने का अहसास अलग है...
कुछ पन्ने तो छूट गए...
इन आशिकजार की बस्ती में...
लम्हें मेरे लूटे गए...

लिखते लिखते तुमको हर दिन..
कुछ पन्ने खाली रह गए...
उन पन्नों के लफ्जों में ही...
हम असली हासिल छोड़ गए...

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14 MAY 2021 AT 20:14

उन्होंने महफिल में बुलाया मुझे और मेरा कत्ल ए आम कर दिया...
मजा तो तब आया जब ये तमाशा उन्होंने सरे आम कर दिया...
हम तो सर झुकाए बैठे थे, सब कुछ बेनकाब था मेरा...
उन्होंने तो पहचान छुपाई खुद की और मुझे बदनाम कर दिया...

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5 MAY 2021 AT 19:02

भूल जाता हूं मैं, तेरी गद्दारी आजकल...
की तेरे शब्दों ने भी क्या खेल रचा है...
हम हुक्म का इक्का लेकर बैठे थे...
और तुमने ऐलान कर दिया कि अब कुछ ना बचा है...

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22 MAR 2021 AT 2:38

अकसर नजर आते है लोग...
मेरे दरवाजों के दरार पर झांकते....

अकसर नजर आते है लोग...
मेरे दरवाजों के दरार पर झांकते....

खोलते ही हर चेहरा
अनजान सा दिखता है...

#midnight #thought

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11 FEB 2021 AT 21:44

ये कौन सी महफ़िल है
इश्क का...
हर शख्स यहां बेनकाब है...
बैठे है अंधेरे में,
चेहरा घुमाकर...
जैसे पहचानते नहीं हमें
और ना कोई मुलाकात है...

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