Aniket Bhusnar   (Aniket_B2108)
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Joined 14 March 2022


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Joined 14 March 2022
23 APR 2023 AT 23:33

आपके दिद से हमने ईद मनाई हैं
ये जो यन्हा जख्मो को राहत आयी है।।
आप के हुस्न की महक से ईदी पायी हैं
आज चांद ने रोशनी आप से पायी हैं।।
हिंदुस्तान मैं बाजीराव मस्तानी की सगाई हैं
चाहे फतवा निकले हमारा यही दुहाई हैं।।
इश्क करणे वालो ने अपनी जान लुटाई हैं
मिया ऐसी शरीयत कीस खुदा ने सिखाई हैं।।
ये कौन सी आयत तुमने यहा बताई हैं
प्रेम से बडा कोई कलमा नही यहि तो कबीर सुनाई हैं।।
और हा अमल करते हैं इस एक कानून का ही
कबीर ने भारत को आयत श्लोक और चौपाई भी पढाई हैं.....

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21 APR 2023 AT 23:18

हाँ एक ही है मेरी दिवाली और उसका वो रमजान।
मैं उसकी जात हुं और हमारा इश्क उसका खानदान।। मेरी राणी हैं मजहब या धरम मोहब्बत का मत पुछना कोई।
उसे खुदा का क्या खुद का भी नाम याद नहीं सिर्फ मेरी ईबादत मैं है खोई ।।
ईद के चांद जैसी हैं वो हा मैं ही तो उसका आसमां हूं।
मेरे नाम की वो आयत पढ़ती हैं ,क्युं की मैं ही उसकी मोहब्बत का कलमा हूं।।

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1 MAR 2023 AT 19:27

अंता 🍂पासुन अनंता कडे जाताना क्षणभंगुर आयुष्यात क्षणिक सुखांची लयलुट केल्याकारणे आपल्या वर सुरू असलेला जीवन संघर्षाचा खटला आपण स्वतः लढून आपणच आपल दंडविधान लिहून आपली समिक्षा करण म्हणजे आयुष्य जगताना,जीवंत असन.. 🍃

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1 MAR 2023 AT 19:22

अंता 🍂पासुन अनंता कडे जाताना क्षणभंगुर आयुष्यात क्षणिक सुखांची लयलुट केल्याकारणे आपल्या वर सुरू असलेला जीवन संघर्षाचा खटला, आपण स्वतः लढन आणि आपणच आपल दंडविधान लिहून, आपली समिक्षा करण म्हणजे आयुष्य जगताना, "जीवंत" असन.. 🍃

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7 FEB 2023 AT 11:16

कम्बखत इश्क चीज ही ऐसी है
बेरहम कत्ल दिल का होता है
फिर भी नासमज दिमाग मुस्कुराके मातम मनाता है
नैनो का जो अश्क पलक पी जाता हैं
रुह की तन्हाई को जिसम से जाना जाता हैं
और नजर फिर उठ कर "गुलाब" समझके सजदा करती हैं
गर कातिल हात मैं खंजर लिए भी फिर सामने आता हैं

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22 JAN 2023 AT 0:19

चंद्रा एकाच रात्रीत कसे समाधानी होऊ मी
तुला कित्येक अजून डाग देणार बघ

तुझ्या सौंदर्याला पहाटे कशी येते उर्मी
तेंव्हाच ब्रह्म मुहूर्ती ओठ एकमेकांचे ओले करु मग

आजीवन कारावास पत्कारेन ह्या रात्रीचा
मीठीत तुझ्याच दिसतंय मला जग

सुख कुठं थांबलं तर दोशी असेल फक्तं निशा
सूर्य आल्यावरही उतरणार नाही प्रेमाची नशा..

चंद्रा एकाच रात्रीत कसे समाधानी होवु मी
रोज प्रणयसुखातच सुर्योदय पाहणार रग..

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7 JAN 2023 AT 11:12

कयामत करणे वालो कयामत क्यूँ नहीं करते
हम खिलाफती अब समझौते मंज़ूर नहीं करते
हम इन्सानियत के खातिर गाझी हो सकते है
लेकिन शरीयत के किसी भी खुदा पे इकिन नही करते

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22 DEC 2022 AT 0:48

लहरे, तूफान और बवंडर शिद्दत से मेरी कश्ती को डुबाने की कोशिश में थे ।
हैरान वो मैं मेहनत से किनारा पास कैसे कर रहा हूं ये देखते रह गए ।
नादान इतना भी समझ ना पाए की इस जंग में खुद समंदर ही मेरा यार था...

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20 DEC 2022 AT 2:40

दोस्त सुरज रोज डूबता हैं और उगता हैं यहा..
उस बचपन के दीन वो अब क्यूं नहीं लौटा पा रहा??
तेरे साथ सुबह सूबह उसे बुलाने जाकर उसकी पहली किरणो को जो हम सजदा करते थे।
अपनी गुजरी और आने वाली जिंदगी पर परदा करते थे।
अनगिनत ख्वाइशों के उफनते दर्या को मन्नाथ के उस छोटेसे तालाब में खामोश करने का कायदा करते थे ।
और हर एक लम्हे मैं जी भर हैं जिना ये वायदा करते थे ।।
मेरे यार क्या तु बता पायेगा हम उस वक्त किसका फायदा देखते थे।।
बस इतना कहना हैं बचपन मैं गर तेरे साथ मौत आए तो हसकर मरेंगे ये कहा करते थे।
लेकिन अब इस खुदगर्ज जवानी मैं उसका सिर्फ खयाल आया तो भी डरते हैं।।

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17 DEC 2022 AT 3:27

माझ्या आयुष्यातलं गूढ तुम्हाला कळेल काय
इथ राजहंस रडत म्हणतोय माझी अवस्था पहाय
कावळे माजोरी सध्या मलाच पाहून हसतायत
जगण्याच्या ओझ्या खाली नितीमुल्य खचतायात
त्या राजहंसांच्या व्याकुळतेला मी फक्त पाहतो
कावळ्यांच्या पुजेला मात्र माझंच मांस वाहतो
कदाचित मांस माझंच असतं तर जिवंत असतो
ते निष्पाप बळी पाहून उरी पुरता दुभंगलो नसतो
लचके कावळे तोडती विद्वान राजहंसांचे
डसने वाढले आहे कूविचारी विषारी सापांचे
गरुड ही भिवून त्यांच्या कड फक्तं पाहे
आता विषाला औषध इथ विषच आहे
म्हणून मला पाळायचाय एक सुविचारी साप
आता तोच ठरवेल पापपुण्याचे गुणाचारी माप
मान्य की कुविचारी विष अजुन पुर्ण पसरलं नाहीं
पण विषबाधा आहे ना महत्त्वाचा अवयवांना काही

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