फेसबुक वाली प्यार से मित्रों,
तुम कभी ना रखना आस|
काली बन जो बात करे,
वही दिन में कालीदास||
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I am a simple man don't know what is writing.I ... read more
ना झुका सका चेतक के सर को,
ना तोड सके रामप्रसाद का स्वाभिमान|
किताबों में किसने लिख दिया,
फिर हो गया अकबर महान||-
पहले जब विपत्ति आती थी तो लोग कहते थे.....!
हे प्रभु...!और कैसे कैसे दिन दिखाओगे...?
कोरोनो आने के बाद से लोग कहते फिर रहे हैं.....!
हे प्रभु...!और क्या क्या हम से गिनवाओगे...?
#Coronavirus
#Lockdown-
#Lockdown
अपनी और अपनों की जान के खातिर,
घर में समय कुछ इस तरह काट रहा हूँ|
जो मिलाया था दाल-चावल खिचड़ी के लिए,
अब दोनो को अलग अलग छांट रहा हूँ||-
खुला छोड़ दो दोनों को ए-अनिकेत,
चाहे मोहब्बत हो या परिंदा|
गर लौट आया कभी तो तुम्हारा,
ना लौटा तो तुम्हारा कभी था ही नहीं||-
एक और इतवार गुजरेगा तेरे ही ख्यालों में|
कुछ अनसुने जवाब अनगिनत सवालों में||
कुछ होश ही नहीं रहता भटक रहा हूँ ऐसे|
भटक रहा हो कोई रूह दिन के ऊजाले में||
चाहूँ भी तो खुद को ना निकाल सकता हूँ|
इतना उलझ गया हूँ तेरे यादों के जालों में||
ना होठों पर हँसी ना सिने में धड़कन|
बर्फ सी गयी हो जम जैसे रुधिर के अंगारों में||
ना तलब प्यास की ना खाने की सुध|
नमक कम मिर्च ज्यादा हर निवालों में||
जला देता हूँ दिल ही को हर दफा खुद से|
खो गई हो रौशनी मानो जैसे मशालों के||
सो जाता हूँ आगोश में मयखानों के अक्सर|
चैंन मिलता हैं तो बस मय के प्यालों में||-
गुलाब भेज तो दूँ तुम को,
तेरे चेहरे को गुलाबी कर दूँ.....!
गवारा नहीं मुझ को की मैं,
एक ख़ता से सारे शहर को शराबी कर दूँ.....!!-