Anika Sahni   (अनिका साहनी)
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Punjabi ❤️
Lost in WORDS 🌼
Joined 12 May 2019


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Joined 12 May 2019
17 OCT 2024 AT 16:55

न किसी चीज़ की फिक्र थी
न किसी चीज़ का डर था,
"उस वक़्त" के ना कोई वादे कच्चे थे
हां ! हम बच्चे ही अच्छे थे ।

न ज़्यादा छुपा पाते थे
न ज़्यादा जता पाते थे,
"उस वक़्त" के सारे चहरे सच्चे थे
हां ! हम बच्चे ही अच्छे थे ।

न किसी से शिकायतें थी
न किसी से बैर था,
"उस वक़्त" बातों के ज़रा‌ कच्चे थे
हां ! हम बच्चे ही अच्छे थे ।

न पैसों का लालच था
न खुद पर घमंड था,
"उस वक़्त" सब दिल के सच्चे थे
हां ! हम बच्चे ही अच्छे थे ।

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27 AUG 2024 AT 12:01

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल ..
तो कोई उम्र भर भटकता रहा ।
किसी को हस्ते मुस्कुराते मिल गई शौहरत ..
तो कोई उम्र भर तरसता रहा ।
किसी को पलक झपकते ही मिल गई दोस्ती ..
तो कोई उम्र भर तड़पता रहा ।

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4 JAN 2024 AT 17:25

अकसर बातें होती तो हैं
पर अब पहले जैसी बात नहीं,
शायद सही कहा था सब ने
देखों आज वो मेरे साथ नहीं ।

मुश्किल तो हुआ दूर रहना
सारे गमों को अकेले सहना,
अब पुराने जैसे हालात नहीं
देखों आज वो मेरे साथ नहीं ।

वादे थे कई बड़े-बड़े
हमेशा साथ होते थे खड़े,
अब होती यूं मुलाकात नहीं
देखों आज वो मेरे साथ नहीं ।

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27 NOV 2023 AT 21:51

अकसर हसते देखा है मुझे ?
कभी तसल्ली से हाल पूछो तो सही..

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8 AUG 2023 AT 4:11

घर, मकान सब पीछे छूट गए
रिश्ते- नाते सारे यूहीं टूट गए
अपनों से बात करे अब ज़माना हुआ
ऐ दोस्त, ज़रूरी अब यहॉं कमाना हुआ ।

किसी की दोस्ती हारी, किसी का प्यार
हारे वो भी जो थे मर-मिटने को तैयार
दोस्ती आज़माए भी अब ज़माना हुआ
ऐ दोस्त, ज़रूरी अब यहॉं कमाना हुआ ।

जागते-जागते यूहीं सो गए
सोचते-सोचते यूहीं रो गए
मुस्कुराए हुए अब ज़माना हुआ
ऐ दोस्त, ज़रूरी अब यहॉं कमाना हुआ ।

अपने सपने सजाकर भूल गए
लोग यहॉं नशे में झूल गए
ख्वाबों को पंख दिए अब ज़माना हुआ
ऐ दोस्त, ज़रूरी अब यहॉं कमाना हुआ ।

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9 JUL 2023 AT 14:25

हमने आपकी गालियों में भी खुद के लिए प्यार समझा ,
मानों या ना मानों ... मगर हमनें आपको ही अपना "यार" समझा ।

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26 APR 2023 AT 23:07

Why are you treating me like this
as if each and every fault was only mine ?

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1 MAR 2023 AT 23:04

एक शक्ल जानी पहचानी,
आज कल अंजान सी महसूस होती है ।

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28 JAN 2023 AT 12:33

उनसे घंटों की बातें ,अब चंद मिनटों की हो गयी
आज कल हम ज़िंदा तो हैं, पर मानो रूह कहीं खो गयी ।

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7 AUG 2022 AT 1:43

फूलों की तरह इंसान भी
खिलकर मुरझा जाता हैं,
दूसरे फूलों की तरह, दोस्त तो बहुत हैं "उसके",
मगर ,
अक्सर मुश्किलों में खुद को अकेला ही पाता हैं ।

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