न किसी चीज़ की फिक्र थी
न किसी चीज़ का डर था,
"उस वक़्त" के ना कोई वादे कच्चे थे
हां ! हम बच्चे ही अच्छे थे ।
न ज़्यादा छुपा पाते थे
न ज़्यादा जता पाते थे,
"उस वक़्त" के सारे चहरे सच्चे थे
हां ! हम बच्चे ही अच्छे थे ।
न किसी से शिकायतें थी
न किसी से बैर था,
"उस वक़्त" बातों के ज़रा कच्चे थे
हां ! हम बच्चे ही अच्छे थे ।
न पैसों का लालच था
न खुद पर घमंड था,
"उस वक़्त" सब दिल के सच्चे थे
हां ! हम बच्चे ही अच्छे थे ।-
Lost in WORDS 🌼
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल ..
तो कोई उम्र भर भटकता रहा ।
किसी को हस्ते मुस्कुराते मिल गई शौहरत ..
तो कोई उम्र भर तरसता रहा ।
किसी को पलक झपकते ही मिल गई दोस्ती ..
तो कोई उम्र भर तड़पता रहा ।-
अकसर बातें होती तो हैं
पर अब पहले जैसी बात नहीं,
शायद सही कहा था सब ने
देखों आज वो मेरे साथ नहीं ।
मुश्किल तो हुआ दूर रहना
सारे गमों को अकेले सहना,
अब पुराने जैसे हालात नहीं
देखों आज वो मेरे साथ नहीं ।
वादे थे कई बड़े-बड़े
हमेशा साथ होते थे खड़े,
अब होती यूं मुलाकात नहीं
देखों आज वो मेरे साथ नहीं ।-
घर, मकान सब पीछे छूट गए
रिश्ते- नाते सारे यूहीं टूट गए
अपनों से बात करे अब ज़माना हुआ
ऐ दोस्त, ज़रूरी अब यहॉं कमाना हुआ ।
किसी की दोस्ती हारी, किसी का प्यार
हारे वो भी जो थे मर-मिटने को तैयार
दोस्ती आज़माए भी अब ज़माना हुआ
ऐ दोस्त, ज़रूरी अब यहॉं कमाना हुआ ।
जागते-जागते यूहीं सो गए
सोचते-सोचते यूहीं रो गए
मुस्कुराए हुए अब ज़माना हुआ
ऐ दोस्त, ज़रूरी अब यहॉं कमाना हुआ ।
अपने सपने सजाकर भूल गए
लोग यहॉं नशे में झूल गए
ख्वाबों को पंख दिए अब ज़माना हुआ
ऐ दोस्त, ज़रूरी अब यहॉं कमाना हुआ ।
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हमने आपकी गालियों में भी खुद के लिए प्यार समझा ,
मानों या ना मानों ... मगर हमनें आपको ही अपना "यार" समझा ।-
Why are you treating me like this
as if each and every fault was only mine ?-
उनसे घंटों की बातें ,अब चंद मिनटों की हो गयी
आज कल हम ज़िंदा तो हैं, पर मानो रूह कहीं खो गयी ।
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फूलों की तरह इंसान भी
खिलकर मुरझा जाता हैं,
दूसरे फूलों की तरह, दोस्त तो बहुत हैं "उसके",
मगर ,
अक्सर मुश्किलों में खुद को अकेला ही पाता हैं ।
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