Ani Verma   (Anu)
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लिख कर दर्द को मिटा दिया मैंने, अब बस सुकून लिखती हूं।
Joined 24 May 2020


लिख कर दर्द को मिटा दिया मैंने, अब बस सुकून लिखती हूं।
Joined 24 May 2020
4 HOURS AGO

पूछती हूं तुमसे, ज़रा गौर फरमाओ....
मैं तुमसे जुड़ा हर रिश्ता दिल से निभाऊं,
सबको पलकों पर बिठाऊं,
सबके नखरे उठाऊं
और तुम.... मेरे रिश्तेदारों के
नाम से भी नाक भौंह चढ़ाओ....
वाह ये क्या बात हुई....

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23 HOURS AGO

पर हर बार मेरी आवाज़
लौट आई मुझ तक ही
उस तरफ कोई इंसान है ही नहीं अब
सिर्फ़ पत्थर ही पत्थर हैं इर्द-गिर्द मेरे
और इन पत्थरों के बीच में रहते रहते
मैं भी पत्थर होने लगी हूं।

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YESTERDAY AT 21:54

पता नहीं ऐसी क्यों है दुनिया
ऐसी की तैसी क्यों है दुनिया
क्यों किसी को जीने नहीं देती
मरने से भी रोकती क्यों है दुनिया।

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YESTERDAY AT 21:46

कुछ भी अनाप-शनाप....😕

रसोई में काम करते हुए
बहू का चाहे हाथ जले
या वो पूरी जल जाए...
ससुराल वालों को सिर्फ
गोल और फूली हुई रोटियों से मतलब है...

आगे की बकवास अनुशीर्षक में...

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YESTERDAY AT 17:14

बहू कमाने वाली चाहिए
जो घूंघट रखे, पूरे घर का काम करे
और सबकी सेवा करे...
और बाकी घरवाले....हम क्यों कुछ करें,
हम बहू थोड़े ही हैं....
हद है यार....

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22 MAY AT 16:33

जाने कौन सा सुख है दुःख में
कि मन उसे छोड़ने को आमादा नहीं
शायद इसलिए कि
दुःख की जड़ें बहुत गहरी होती हैं
उसके आस-पास सुख
पनप भी जाए तो ज्यादा दिन
जीवित नहीं रह सकता।
तो क्यों ना दुःख को ही सुख समझा जाए
क्यों ना आंसुओं से सींचे
दुःख के दरख़्त को पाला पोसा जाए
तो क्यों ना देने वाले ने
जो दिया उसकी कद्र करें।

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21 MAY AT 23:05

मुझे अमलतास उतना ही पसंद है
जितना मोगरा,
गुलमोहर भी उतना ही पसंद है
जितना गुलाब।
अमलतास और गुलमोहर में
एक खास बात जानते हो.....
जितनी दुखों की धूप चढ़ती जाए,
उतना ही दोनों खिलते जाते हैं।
हमेशा आकर्षित किया
इन दोनों के व्यक्तित्व ने
शायद इसीलिए मैंने भी
आकर्षित किया हमेशा दुखों को।
पर यकीन है मैं भी
खिल पाऊंगी किसी रोज़
अमलतास या गुलमोहर की तरह।
है ना....

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21 MAY AT 23:00

उदास हैं कवि की कल्पनाएं,
मुरझा गए गुलाबों के चेहरे।
पपड़ी जम रही नदी तालाबों के होंठों पर
नायिकाएं श्रृंगार से विरत हो रही हैं
अभी कुछ भी सुहावना नहीं रहा
खासकर रेतीले,सूखे प्रांत में तो।
ऐसा लगता है सूरज भी किसी
एयर स्ट्राइक पर उतारू है।

शेष अनुशीर्षक में....

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21 MAY AT 21:21

छुट्टियों का मौसम,
मेहमानों की आवाजाही
और दिन भर चाय नाश्ते का दौर,
अब चाय बनाएं या कविता....
🤪🤪

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20 MAY AT 21:13

अपनी पत्नी से परेशान होगा शायद...🤪

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