अनहद   (©उन्मत्त)
295 Followers · 49 Following

read more
Joined 31 December 2017


read more
Joined 31 December 2017
20 JAN 2022 AT 2:02

"मैंने चाहा हर वक्त मन का होना.....मिला नहीं।"
(लघु कथा)

-


11 JAN 2022 AT 3:37

प्रेम:
विरह में.. पनपे दुखों का सार है।

-


26 DEC 2021 AT 23:29

सर्द रातों में दोपहरी की आस दिसंबर.
पल पल गुजरता हुआ, साल दिसंबर..

-


26 DEC 2021 AT 1:36

मैंने उसे जाने दिया
—————————
मन को संभालते हुए,
मैंने उसे जाने दिया।

हृदय को लुभाता स्नेह,
रखा नहीं जाने दिया।

बचते-बचाते, छुपाते उसे,
हठता को भी जाने दिया।

चिंताओं की शोर गूंज को,
क्षितिज में मिल जाने दिया।

उस ईश्वर की कृपा के लिए,
जिसने हमे उन्मुक्त रखा है।

अपनी कैद में रखी पंछी,
मैंने नभ में उड़ जाने दिया।

-


24 DEC 2021 AT 16:10

प्रेम में पड़कर लिखी कविताएं..
अक्सर कहानियां बन जाती है..

-


23 DEC 2021 AT 0:51

दिन की मसरूफियत ने संभाले रखा था..
कम्भख्त रात, आज फिर से सोने नहीं देगी...

-


22 DEC 2021 AT 1:15

जीवन रुकता नहीं, न ही रुकते है लोग,
रुकता है तो बस, वो न होने वाली बातें।

-


22 DEC 2021 AT 1:00

मैंने जब जब लिखना चाहा,
दौड़ती भागती संसार को चाहा,

उपवन में लह लहाते वृक्षों को लिखा,
लिखा पेड़ों से पत्ते अलगाते पतझड़,

बरगद के लताओं में झूलते बचपन लिखा,
लिखा रंग बिरंगी तितलियों में भवरें का सादापन,

चीखती चिल्लाती गुंजो को लिखा,
लिखा बदहवास बैठे मन का सूनापन,

कप-कपाती सर्द हवाओं में,
अंगीठी की गर्म-जोशी चाही,

कहानियां बड़ी सुलझी होती है
तो मैंने हमेशा कविताएं लिखी,

तुम्हें नहीं।

-


15 APR 2021 AT 1:17

अब और लिखा ,
तो बच नहीं पाएगा।
अबके जो डूबा,
तो डूब ही जाएगा।
लिखता हूं तुम्हे,
अब मैं फिर कभी।
सबसे पहले चाय, फिर,
बिस्किट खाया जायेगा।

-


22 MAR 2021 AT 17:21

कितनी चीजे होती है, तुम तक, जाने को
वो जो न जाने वाली है, कौन समझाए उनको

-


Fetching अनहद Quotes