कोयल भी कुछ कड़वी धुन में
इस बार गुहारे गाती है
प्यासे पर की उस पीड़ा को
बिन देखे जनता जाती है
फिर कहती है उन आमों में
पहले जैसी रही बात नहीं
बस साल बदलते जाते हैं
खेतिहर के हालात नहीं
जीवनरेखा भी दम लेकर
दम तोड रही तालाबों में
कुछ दिन खींचो अब खानों से
फिर पीना जल बस ख्वाबों में
- अनेकांत
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Swara: Pappa, Jai maadak hontevu?
Me: Illa, Jai Hind maadak honteva.-
My wife is so Kannadati that she calls Kinder joy as ಕಿಂದರ Joy.
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What's the difference between getting Laid off and getting Laid? Probably the frequency, no?
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दिन के उजाले में ही नहीं
दिये की आड़ में भी तुम्हारा साथ रहा है
मेरे कुछ बनने में आखिर
बहन तुम्हारा भी हाथ है
ऐसे मौसम की कहीं गुंजाईश न थी
बिन बादल ही घूंघट गीली हो जाए
मेरी ऐसी कभी ख्वाहिश न थी-
खुशनुमा हुआ करती थी साइकिल की सवारी भी
अब हेल्मेट की आड़ में दर्द छुपाये फिरते हैं
कभी मुस्करा भी देते ट्रैफिक सिग्नल पर मगर
ज़माना कार की काँच चढा लेता है-
दो आंखें, कई सपने और एक चश्मा...
गुज़र जायेंगे बारह महीने देखते-देखते-
पलट लिया ज़िंदगी एक और पन्ना,
अब ज़रा आगे भी पढ़ो
कुछ देर के लिए ही रुके थे ये कदम,
सीधा रास्ता है दिख रहा तुम आगे बढ़ो-
Me: Our carpenter Abdul wants to watch the India Vs Pakistan on big screen, shall I invite him home?
Wife: Which team does he support?
Me: Manchester United, always...-