Anchal Gupta   ("आँच")
87 Followers · 88 Following

read more
Joined 7 December 2019


read more
Joined 7 December 2019
19 JUL 2022 AT 12:21

Which leads you to the immortality of peace.

-


17 JUL 2022 AT 13:28

सूर्य की किरणों में
है उन्माद आज ,
प्रकृति के सौंदर्य में
छाया है उल्लास;
धरा का धानी रंग,
बिखेरे विजय के राग
जीवन के सब आनंद
समेटे ये आकाश ;
नीली नीली नदियों की ,
आँखों में है बीती रात
संध्या का श्रृंगार ,
हुआ है तारों के हाथ
विनय की मिश्री घोल ;
पपीहा दे सौगात ,
ढलता बढ़ता चाँद सिखाये
चलना हर पल अबाध;
दिन का आना रात का जाना,
जीवन का सब सार,
छिपाये बस इतनी सी बात!!



-


10 JUL 2022 AT 8:40

Just like to water a plant.

-


4 JUL 2022 AT 10:31

एक अदने से दिये को रौशनी फैलाने दो!
जिस्म से अपने उसे उम्मीद आज जगाने दो!

जब जली है आग आख़िर राख हो ही जायेगी,
ज़िंदगी के तुम नये कुछ मायने बतलाने दो !

मंज़िलों का रास्ता आसान होता है कहाँ,
इश्क़ के नन्हे मुसाफ़िर को ज़रा सुस्ताने दो!

तोड़ दोगे बंदिशें या टूट ख़ुद भी जाओगे,
साल छोड़ो..दो महीने तुम गुज़र तो जाने दो!

वक़्त से पहले किसी के हाथ क्या ही आयेगा
वक़्त रहते रंक को राजा मग़र बन जाने दो!

इन लकीरों से भला क्या ख़ाक तुम कुछ पाओगे,
चंद बादल गर्दिशों के अब बरस भी जाने दो!

कठघरे में उस खुदा के एक भी पेशी ना हो,
तुम मुकदमा इस जहाँ में "आँच"को लड़ जाने दो!!


-


24 JUN 2022 AT 9:56

एक रास्ता तुम्हारी ओर खींचता है
राह कोई नयी मंज़िल को जाती है;
मैं उस मंज़िल तो रास्ता बना,
तुम तक पहुँचने की फिराक़ में हूँ!!

-


19 JUN 2022 AT 9:43


!!तात् प्यारे!!
✍read caption
For papa ❤

-


15 JUN 2022 AT 23:07

माँ के आँचल से लिपटने की उम्र किसी किताब में नहीं बतायी गयी!!

-


13 JUN 2022 AT 13:49

तुम कहते हो तुमने तो औरत गढ़ी है,
वो औरत, जो बरसो से हाशिये पर खड़ी है!
वो घूँघट,चुप्पी,चौखट, चूल्हा सम्भाले,
अपने हक़ के खातिर कहाँ वो लड़ी है!
नाकामी तुम्हारी अपनी कमी से छिपाये,
आदमी के साँचे में ही तो औरत ढली है!
फैसले उसकी ज़िंदगी के,उसी के मुखालिफ़,
चंद उसूलों की उसके पैरों में बेड़ी पड़ी है!
तुम जिसके साये में पले,बढ़ना सीखा,
उसी की ज़ुबाँ पे खौफ़ की चाभी चढ़ी है!
नकारी हैं उसने जब भी हुकूमत तुम्हारी,
इज़्ज़त रही ना वो बदचलन बन पड़ी है!
निकल के चलन से जब हुई है बेबाक,
दामन पे उसके हुई हर बार छींटाकशी है!!



-


10 JUN 2022 AT 10:29

तुम्हारी उंगलियों की
छुअन का ये सिलसिला,
जिसे तुम नाम
इश्क़ का दे रहे हो!
ये बेतरतीबी से नाचती
तुम्हारी आँखें;
जिनसे तुम रूह तक
उतरने की बात करते हो!!
दो उभारों और एक
लकीर को टटोलने की चाहत,
जिसे तुम मोहब्बत कह रहे हो.!!
मुझे खुद में समेटने की
तुम्हारी ये आदत;
जिसमें तुम सुकून ढूढ़ते हो.!
ये हाथ, ये आँखें,ये चाहत
तुम्हारी नीयत बता रही हैं!!!
तुम्हें जिस किस्म के
इश्क़ की जरूरत है;
वो..वो इश्क़ नहीं,
वो तो वहशत है!!

-


6 JUN 2022 AT 11:45

एक अदने से दिये को रौशनी फैलाने दो!
जिस्म से अपने उसे उम्मीद आज़ जगाने दो!!

-


Fetching Anchal Gupta Quotes