अनभिज्ञ SH   (नालायक)
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Joined 24 December 2020


Joined 24 December 2020
26 AUG 2022 AT 15:44

ख़ुदा जाने कैसे गुजरेगी रात कि वो नहीं आए
हाय कितनी बोझिल हैं शाम ओ सहर के साए

सितारे भी, झुकाये हैं अपना सर, नाकामी पर
शौक से गए थे वो चाँद लाने, पर ला नहीं पाए

ये आसमाँ भी ना बड़ा निष्ठुर है, रोता भी नहीं
उसे क्या पता कि किसने, कितने आँसू बहाए

खुदारा, बहुत परेशान है, सुबह की किरणे भी
वो कहाँ है, किसके चाह मे भला, मोती लुटाए

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2 AUG 2022 AT 16:11

विरहिणी बनी धरा की, तन मन में जा समाई है
मेघों ने मानों झूमकर, धरती की प्यास बुझाई है
हरियाली और प्रेम का बना हो जैसे संगीत नया
छम-छम बूँदे बरखा की, गीत नया लेकर आई है!

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16 JUL 2022 AT 20:03

कोशिश तो बहुत करती है, पर वो तन्हा रह नहीं पाती है
कहना तो दिल खोल के चाहती है, पर कह नहीं पाती है
एक समय था, जब न मंजूर दूर दूर तक कोई सौतन उसे
अब, दिल मसोस कर रह जाती है, भले सह नहीं पाती है

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6 JUL 2022 AT 21:00

उफ्फ, फिरते हुए किसी की नज़र देखते रहे हम
खून ए दिल होता रहा यारों, मगर देखते रहे हम
हमे लगता था कि आज भी वो हमारे ही हैं यारों
गलतफहमी साबित हुई तो, डगर देखते रहे हम

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30 JUN 2022 AT 19:28

अब ऐसा भी नही कि, दिन नहीं ढलता है या रात नही होती,
लेकिन, सब अधूरा सा लगता है, जब तुमसे, बात नही होती,
अफ़सोस कि, देख कर तेरी रुस्वाई, आँखें भर जाती हैं प्रिये,
ये अलग बात है कि मेघ तो उमड़ते हैं पर बरसात नहीं होती!

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24 JUN 2022 AT 19:12

महफिलों में भी वो और तन्हाइयों में भी वही रहा करती है,
क्या 'इश्क़' की हर घडी में, ऐसे ही मोहब्बत बहा करती है।

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4 JUN 2022 AT 10:36

नदी के बहते पानी पे, हंसता बुलबुला है ज़िंदगी
हादसों का एक मुसलसल, सिलसिला है ज़िंदगी

ना आना अपने हाथ में, ना जाने की कोई ख़बर
नियमत है तो, ये किसी के लिये गिला है ज़िंदगी

कभी नज़ारे, कभी चाँद सितारे तो कभी है बहार
तो कभी क़यामत का रूबरू जलजला है ज़िंदगी

ना दिल ही अपने हाथों में ना ख़्यालों का ही डोर
तो भूखे के हाथ लगी, ख्याली गुलगुला है ज़िंदगी

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29 MAY 2022 AT 20:19

मुद्दत गुज़र गयी कि, यह आलम है मुस्तक़िल
दर्द का कोई सबब नहीं है मगर उदास है दिल
मुमकिन नहीं कि, मिलके सजाएँ जहाँ अपनी
ख़्वाबों ओ ख़्यालों मे ही सही, आके तो मिल

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23 MAR 2022 AT 0:07

आनंद रूपी सागर में ही, तुम्हारी जीवन की कश्ती हो
तन वही स्पर्श करे सदा, जिस हवा में खुश्बू बसती हो
तेरे जन्म-दिन के पन्नों में बस, सुख से भरी कहानी हो
हर इक साल ये दिन आए जब तक समंदर में पानी हो

सदा घर आँगन गुलज़ार रहे, दामन में बस अच्छाई हो
मेरे हृदय के तल से जन्मदिवस पर बारम्बार बधाई हो

सबका, स्नेह प्यार मिलता रहे, हर एक बात अमल हो
हर पल मन हर्षाए जैसे झील में हँसता हुआ कमल हो
कभी भाग्य तुमसे खफ़ा नहो जायज़ ख्वाहिशें पूरी हो
तेरे चेहरे पर हो नूर सदा ही, तेरे 'अपनों' से ना दूरी हो— % &

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11 DEC 2021 AT 13:45

है कैद जिसमें ज़िंदगी मैं वो कफ़स का तार हूँ
रफीकों के करम से जो लूट चुका, वो दयार हूँ

तूने, कितना चाहा, प्यार किया, बेशुमार किया
पर मैं संभाल के न रख सका, तेरा गुनहगार हूँ

सुन तू बेवफ़ा नहीं मैं ही सदा करते गया जफ़ा
मैं तुझसे शर्मसार हूँ जान मैं खुद से शर्मसार हूँ

न गुल, न गुलबर्ग, कोई न शाख पर समर कोई
शजर है खुश्क बाग के अजब का इक बहार हूँ

अज़ीब मस'अला है, मेरी दास्तान भी अज़ीब है
कि, साहिल पे आके भी देख मैं बीच मझधार हूँ

माना हद से अपनी सोच के, न आर हूँ न पार हूँ
अब, चाहे जो हूँ जैसा हूँ, मैं तुम्हारा वही प्यार हूँ

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