ये खु़दा अब तो सुन ले हमारी अरदास,
बख्श दे हम इंसानो को इस महामारी से,
न जाने कितनो के घर डाले उजाड़ इसने,
न जाने कितनी चीखे और है सुनने बाकी,
श्मशानो में नहीं रहे स्थान अब और शवो को जलाने के,
कर क्षमा गर हुई हो कोई ख़ता हम नादान इंसानो से,
ये खु़दा अब तो सुन ले हमारी अरदास,
बख्श दे हम इंसानो को इस महामारी से!!!
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